Mythology:भगवान राम बने रामचंद्र-सूर्यदेव के कारण

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        प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ


पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम का अयोध्या में जन्म हुआ।भगवान के प्राक्ट्य पर देवता सूर्य नारायण अति प्रसन्न हुए,कि मेरे वंश में अवतरण हुआ है।इस पर बहुत आनंदित हो गए और क्षण भर के लिए रुक गए।सूर्य की गति कभी रुकती नहीं पर एक क्षण के लिए थम गई तो राजभवन से अति कोमल वाणी से वेद ध्वनि सुनाई देने लगी।अबीर गुलाल उड़ रहा है चारो ओर हर्ष उल्लास का उत्सव हो रहा है, को देखकर सूर्य भगवान् अपना रथ हाँकना भूल गए।

मास दिवस कर दिवस भा, मरम ना जानइ कोइ।
 रथ समेत रवि थाकेउ,निसा कवन विधि होइ।।

महीने भर का दिन हो गया। इस रहस्य को कोई नहीं जानता। सूर्य अपने रथ सहित वहीं रुक गए, और फिर रात किस तरह होती।

सब जगह आनंद ही आनंद छाया था, परंतु चंद्र देवता रो रहे थे। भगवान ने पूछा चंद्रमा सब जगह आनंद छाया हुआ है। क्या तुम्हें प्रसन्नता नहीं हुई? चंद्रमा बोला प्रभु, सब तो आप के दर्शन कर रहे हैं, इसलिए प्रसन्न है परंतु मैं कैसे दर्शन करूं।

 प्रभु बोले- क्यों क्या बात है।

चंद्रमा बोले- आज तो सूर्यनारायण हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं और जब तक भी हटेंगे नहीं मैं कैसे आ सकता हूं।

प्रभु बोले- थोड़ा इंतजार करो अभी सूर्य की बारी है। उनके ही वंश में जन्म लिया है इसलिए वह आनंद में समाए हुए हैं। अगली बार चंद्रवंश में आऊंगा। अभी दिन के 12 बजे हैं। तब मैं रात 12 बजे  आऊंगा, तब तक इंतजार कर लो।

चंद्र बोले- प्रभु अभी द्वापर में बहुत समय है तब तक मेरा क्या होगा इंतजार करते-करते मैं तो मर ही जाऊंगा।

भगवान बोले- कोई बात नहीं मैं अपने नाम के साथ तुम्हारा नाम जोड़ लेता हूं। रामचंद्र- सब मुझे इसी नाम से जानेंगे। सूर्यवंश में मैंने जन्म लिया है और सब रामचंद्र कहेंगे और जिसके नाम के आगे चंद्र जुड़ा है वह कैसे मर सकता है, वह तो अमर हो जाता है यह सुनते ही चंद्रदेव प्रसन्न हो गए।

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