अपच हो तो
अपच होने पर अजवाइन, सौंठ और काली मिर्च का मिश्रण बना कर उसका पाउडर तैयार कर लें। उस पाउडर की एक चुटकी नियमित लेने से पाचन शक्ति ठीक होगी। सुबह इस मिश्रण को लेने के दो से तीन घंटे बाद भोजन करें।
मसूढ़ों की सूजन
जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े का कुल्ले करने से दाँतों के मसूढ़ों की सूजन मिटती है। हिलते दाँत मजबूत होते हैं।
जिन बच्चों को सर्दी हो जाती है, नाक बहती है
उन्हें सुबह खाली पेट थोड़ा गुनगुना पानी पिलाओ पाँच-दस दिन तक। नाक बहने की तकलीफ, सर्दी, खाँसी भाग जायेगी।
दूसरा भी उपाय है – 10 ग्राम लहसुन कूट के उसकी चटनी बना लों और उसमें 50 ग्राम शहद मिला दो। इसे सर्दियों में या ऋतू-परिवर्तन के दिनों में जब खाँसी आये या नाक बहे, बच्चों की भूख कम हो जाय तो बालक की उम्र के हिसाब से एक-दो ग्राम से लेकर पाँच– सात–दस ग्राम तक चटायें। इससे भूख खुलकर लगेगी, सर्दी भाग जायेगी, नाक बहना भी ठीक हो जायेगा।
शक्ति संवर्धक आहार
बाजरे के आटे में तिल मिलाकर बनायी गयी रोटी पुराने गुड़ व घी के साथ खाना, यह शक्ति-संवर्धन का उत्तम स्रोत है। 100 ग्राम बाजरे से 45 मि.ग्रा कैल्शियम, 5 मि.ग्रा. लौह व 361 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल व गुड़ में भी कैल्शियम व लौह प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है। यह दो प्रकार की होती है छोटी व बड़ी।
छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है। इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है।
औषधीय प्रयोग
अधिक केला खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है।
धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें।
1 कप पानी में 1 ग्राम इलायची चूर्ण डालके 5 मिनट तक उबालें। इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें। 2-2 चम्मच यह पानी 2-2 घंटे के अंतर लेने से जी-मिचलाना, उबकाई आना, उल्टी आदि में लाभ होता है।
छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनालें। चुटकीभर चूर्ण को 1-1 घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है। कफ पिघलकर निकल जाता है।
रात को भिगोये 2 बादाम सुबह छिलके उतारकर घिसलें। इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, 1 चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है।
आधा से 1 ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है।
आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और 1-2 ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से हृदय रोग में लाभ होता है।
छिलके सहित 1 इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है।
1 ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है।
सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है। इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है।
खांसी में
अब ठंडी के दिन हैं, सर्दी की शिकायत होगी, खांसी व कफ की शिकायत होगी। दायें नथुने से श्वास लिया और रोका। एक से सवा मिनट श्वास रोका और मन में जप करो "नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा"। फिर बायें नथुने से श्वास निकाल दो। जिसको सर्दी है तो 4 से 5 बार करें, ज्यादा नहीं। लेकिन सूखी खांसी हो तो वे लोग ये प्राणायाम ना करें।
सूखी खांसी में घी के मालपुए बनाकर दूध में डूबो दो। 2 घंटे तक डूब जाएँ, फिर वो मालपुए खा लो। सूखी खांसी में आराम होगा।
ह्रदय रोग की सरल व अनुभूत चिकित्सा
1 कटोरी लौकी के रस में पुदीने व तुलसी के 7-8 पत्तों का रस, 2-4 काली मिर्च का चूर्ण व 1 चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पियें l इससे ह्रदय को बल मिलता है और पेट की गड़बड़ियां भी दूर हो जाती हैं।
नींबू का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व सेवफल का सिरका समभाग मिलाकर धीमी आंच पर उबालें। एक चौथाई शेष रहने पर नीचे उतारकर ठंडा कर लें। तीन गुना शहद मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रखें l प्रतिदिन सुबह खाली पेट २ चम्मच लें। इससे Blockage खुलने में मदद मिलेगी l
अगर सेवफल का सिरका न मिले तो पान का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व शहद प्रत्येक 1-1 चम्मच मिलाकर लें इससे भी रक्तवाहिनियाँ साफ़ हो जाती हैं l लहसुन गरम पड़ता हो तो रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l
उड़द का आटा, मक्खन, अरंडी का तेल व शुद्ध गूगल समभाग मिलाके रगड़कर मिश्रण बना लें। सुबह स्नान के बाद ह्रदय स्थान पर इसका लेप करें। 2 घंटे बाद गरम पानी से धो दें। इससे रक्तवाहिनियों में रक्त का संचारण सुचारू रूप से होने लगता है।
1 ग्राम दालचीनी चूर्ण एक कटोरी दूध में उबालकर पियें। दालचीनी गरम पड़ती हो तो 1 ग्राम यष्टिमधु चूर्ण मिला दें। इससे कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त मात्रा घट जाती है।
भोजन में लहसुन, किशमिश, पुदीना व हरा धनिया की चटनी लें। आंवलें का चूर्ण, रस, चटनी, मुरब्बा आदि किसी भी रूप में नियमित सेवन करें।
औषधि कल्पों में स्वर्ण मालती, जवाहरमोहरा पिष्टि, साबरशृंग भस्म, अर्जुन छाल का चूर्ण, दशमूल क्वाथ आदि हृदय रोगों का निर्मूलन करने में सक्षम है।
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