पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की वैक्सीन को डीजीसीआइ ने इमरजेंसी इस्तेमाल की प्रदान की अनुमति
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी के प्रोफेसर ने मौजूदा वैक्सीनों से किया तुलनात्मक अध्ययन
राज कृष्ण पांडेय, कानपुर
आर्टिफिशियल जेनेटिक इंजीनियरिंग से देश में एक और वैक्सीन कोवोवैक्स तैयार की है। New Covid Vaccine COVOVAX इसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने तैयार किया है। क्लीनिकल ट्रायल के फेज टू व फेज-थ्री में 90 प्रतिशत कारगर पाई गई। वहीं, गंभीर से सामान्य केस में वैक्सीन 96.4 प्रतिशत तक प्रभावी है। कोरोना के अल्फा वैरिएंट के खिलाफ 86.3 प्रतिशत कारगर साबित हुई है। इन डाटा के आधार पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों पर इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीजीसीआइ) ने प्रदान की है। New Covid Vaccine COVOVAX विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही अनुमति प्रदान कर दी थी। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रो. विकास मिश्रा ने मौजूदा वैक्सीनों से तुलनात्मक अध्ययन किया है।
अमेरिकन बायोटेक्नोलाजी कंपनी ने सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की मदद से आर्टिफिशियल जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से लैब में बैकिलो वायरस तैयार किया। उसके बाद उस आर्टिफिशियल वायरस में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन का संपूर्ण जीन डालकर उसे प्रभावी बनाया गया। वैक्सीन के पहले चरण के लैब ट्रायल से लेकर फेज-वन, टू और थ्री के क्लीनिकल ट्रायल के उपरांत सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडेस्को) से इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी। सीडेस्को ने डाटा का आकलन करके अप्रूवल देते हुए डीजीसीआइ के पास भेज दिया था।
डीजीसीआइ ने वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल प्रदान करने से पहले सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का अतिरिक्त डाटा मांगा था। ताकि वैक्सीन की सुरक्षा और गुणवत्ता का आकलन कर सके। इस पर देश में हुए क्लीनिकल ट्रायल के फेज टू व फेज-थ्री और गंभीर से सामान्य केस के प्रभाव का डाटा मुहैया कराया। साथ ही अल्फा वैरिएंट के खिलाफ इसे प्रभावी होने का अतिरिक्त डाटा भी प्रदान किया। साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन में वैक्सीन के फेज-थ्री क्लीनिकल डाटा भी उपलब्ध कराया। इन डाटा के आधार पर इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की है।
डब्ल्यूएचओ से पहले ही अनुमति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैक्सीन की गुणवत्ता, प्रभाव और सुरक्षा को देखते हुए पहले ही इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर दी थी। इसमें वैक्सीन के रिस्क मैनेजमेंट प्लान का आकलन किया था।
दूसरी वैक्सीन से बेहतर
अमेरिकन एमआरएन वैक्सीन वास्तविक वुहान वायरस के खिलाफ 94-95 प्रतिशत कारगर रही हैं। इन वैक्सीन का प्रभाव कोरोना के म्यूटेंट वैरिएंट ओमिक्रोन पर 50 प्रतिशत तक घट गया। वहीं, कोवाेवैक्स क्लीनिकल ट्रायल में 96 प्रतिशत प्रभारी पाई गई। म्यूटेंट वायरस के खिलाफ 90 प्रतिशत कारगर रही है। अमेरिकन वैक्सीन के साइड इफेक्ट में हार्ट पर असर भी देखा गया है, जबकि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट में सिर्फ सुस्ती महसूस होती है।
New Covid Vaccine COVOVAXकोवोवैक्स की दोनों डोज 21 दिन के अंतराल में लगाई जाएंगी। इसे दो से आठ डिग्री तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे इसका ट्रांसपोटेशन आसानी से संभव होगा। 12-18 आयुवर्ग के किशोरों पर इस्तेमाल के लिए रिसर्च किया गया है, जिसमें यह पूरी तरह से सुरक्षित पाई गई है। दूसरी वैक्सीनों के तुलना में इसका एंटीबाडी रिस्पांस कई गुणा अतिरिक्त है।
- डा. विकास मिश्र, प्रोफेसर
माइक्रोबायोलाजी विभाग
जीएसवीएम मेडिकल कालेज।
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