विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शिशिर
मास : पौस (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास)
पक्ष : कृष्ण
तिथि - दशमी शाम 04:12 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र - स्वाती 30 दिसम्बर रात्रि 02:39 तक तत्पश्चात विशाखा
योग - सुकर्मा 30 दिसम्बर रात्रि 01:18 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल - दोपहर 12:41 से दोपहर 02:02 तक
सूर्योदय - 07:16
सूर्यास्त - 18:05
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
पंचक
5 जनवरी 2022, बुधवार संध्या 07:55 बजे से 10 जनवरी 2022, सोमवार को सुबह 08:50 बजे तक- राज पंचक
व्रत और त्योहार
एकादशी
30 दिसंबर : सफला एकादशी
13 जनवरी : पौष पुत्रदा एकादशी
28 जनवरी : षटतिला एकादशी
प्रदोष
31 दिसंबर : प्रदोष व्रत
14 जनवरी : शनि प्रदोष
30 जनवरी : रवि प्रदोष
अमावस्या
02 जनवरी : पौष अमावस्या
पूर्णिमा
17 जनवरी : पौष पूर्णिमा
व्रत पर्व विवरण -
विशेष -
एकादशी व्रत के लाभ
29 दिसम्बर 2021 बुधवार को शाम 04:13 से 30 दिसम्बर, गुरुवार को दोपहर 01:40 तक एकादशी है ।
विशेष - 30 दिसम्बर, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है,उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।
पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
एकादशी के दिन करने योग्य
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें। विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन जो चावल खाता है तो धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।
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