बैंकों के निजीकरण के विरोध में गुरुवार से दो दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू
लखनऊ के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा के बाहर किया धरना-प्रदर्शन
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के निजीकरण करने के केन्द्र सरकार के प्रयासों के विरोध में दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर दस लाख से अधिक बैंक कर्मचारी रहे। पहले दिन गुरुवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा के समक्ष सैकड़ों बैंककर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान हुई सभा में ऑयबाक (आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि जो भ्रष्ट पूंजीपती सरकारी बैंकों का हजारों करोड़ रुपये वापस नहीं कर पा रहे हैं, उनके हाथों सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को बेचने की तैयारी करना सरकार के मानसिक दिवालियेपन को बताता है।
सभा में मौजूद महिला और पुरुष बैंककर्मी। |
उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जनता का जमा 157 लाख करोड़ रुपया डुबोने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र रच रही है। ऐसे में छोटे जमाकर्ता, किसान, स्वयं सहायता समूह और कमजोर वर्गों को हमारे साथ बैंक निजीकरण के विरूद्व आवाज उठाना होगा।
वहीं, एनसीबीई (नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज) के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा कि बड़े औद्यौगिक घरानों ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बैंकों को खूब लूटा है। आज बैंकों के कुप्रबन्धन के चलते अनेक घोटाले उजागर हो रहे हैं। इस स्थिति के लिए बैंककर्मी नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव जिम्मेदार है। सरकार उसे रोकने के बजाय बैंकों का निजीकरण कर आमजन की सामान्य बैंकिग सुविधाएं छीनना चाहती है। यह विरोध बैंककर्मियों का ही नहीं, आमजन का है।
प्रदर्शन में यूपी बैंक इम्पलाइज यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष दीप बाजपेई ने कहा- सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूंजीपतियों के हितों के लिए बैंकों का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी तथा आम जनता हरहाल में सरकार को निजीकरण करने से रोकेंगे।
फोरम के जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि हम सरकार की इन नीतियों के विरोध में एक माह से धरना, प्रदर्शन, पोस्टर कैम्पेन, मास्क धारण तथा रैली आदि के माध्यम से विरोधात्मक कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्होंने बैंककर्मियों से आवाह्न किया कि हमें सदैव इसी तरह एकता के साथ जुड़े रहकर सरकार की आमजन विरोधी नीतियों का विरोध करना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फोरम के प्रदेश संयोजक वाईके अरोड़ा ने कहा कि सरकार बैंकों का निजीकरण करके जनता की धनराशि चन्द पूंजीपतियों के हाथ में सौंपकर उनके निजी स्वार्थ पूरा करना चाहती है। इसीलिए बैंककर्मी पुनः संघर्ष की राह पर हैं, हम सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे।
सभा में संदीप सिंह, आरएन शुक्ला, केएच पाण्डेय, एसके अग्रवाल, छोटेलाल, विभाकर कुशवाहा, राजेश शुक्ला, एसके लहरी, एसके संगतानी, दीपेन्द्रलाल, नन्दू त्रिवेदी, सौरभ श्रीवास्तव, एसडी मिश्रा, वीके सिंह, अमरजीत सिंह, डीपी वर्मा, विनय सक्सेना, यूपी दुबे आदि बैंक नेताओं ने सम्बोधित कर लम्बे संघर्ष के लिए तैयार रहने का आवाह्न किया।
यूएफबीयू की देशव्यापी बैंक हड़ताल के समर्थन में कई संगठन आगे आए हैं, जिनमें आर्यावर्त बैंक के उप्र के 26 जिलों के 7 हजार बैंककर्मी तथा देश के 45 ग्रामीण बैंकों के एक लाख बैंककर्मी भी हड़ताल में शामिल हैं।
बैंककर्मियों की आज की सभा के पूर्व बैंक ऑफ बड़ौदा अंचल कार्यालय में संदीप सिंह, इंडियन बैंक में दीप बाजपेई तथा बैंक ऑफ इंडिया के सौरभ श्रीवास्तव के नेतृत्व में अपनी-अपनी शाखाओं में प्रदर्शन किया। उसके बाद सभी बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी स्टेट बैंक मुख्य शाखा की सभा में सम्मिलित हुए।
हड़ताल से लखनऊ में लगभग 1500 करोड़ रुपये तथा प्रदेश में 20000 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित रहा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के 10000 बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14000 शाखाओं के 2 लाख बैंककर्मी शामिल रहें। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12000 एटीएम में से कई में कैश समाप्त होने तथा एटीएम खराब व बन्द होने के कारण आमजन पैसा नहीं निकाल सके।
- अनिल तिवारी, मीडिया प्रभारी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कानपुर।
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