अमेरिका में नई दवा पैक्सलोविड का 1040 मरीजों पर किया गया परीक्षण
एफडीए की मंजूरी, संक्रमण के पांचवें दिन से लेने पर 88 प्रतिशत है कारगर
राज कृष्ण पांडेय, कानपुर
कोरोना वायरस फिर से नए-नए रूप बदल कर संक्रमण फैला रहा है। पहले डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपाया और अब ओमिक्रोन का खौफ मंडराने लगा है। कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं उपलब्ध है। राहत की बात यह है कि अमेरिका में कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने के लिए नई दवा पैक्सलोविड तैयार की गई है। जो संक्रमण के पांचवें दिन से लेने पर 88 प्रतिशत तक कारगर साबित हुई है। इस दवा को अमेरिका के फूड एवं ड्रग एडमिस्ट्रेशन (एफडीए) से मंजूरी मिल गई है। इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजी के विशेषज्ञों ने सरकार को इस दवा का अपने यहां भी इस्तेमाल का सुझाव दिया है। आनलाइन हुई मीटिंग में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा भी जुड़े रहे। उन्होंने भी अपने सुझाव रखे हैं।
अमेरिकन दवा निर्माता कंपनी फाइजर ने कोरोना के खिलाफ नई दवा पैक्सलोविड तैयार की है। यह दो दवाएं रिटोनावीर और निरमेट्रलवीर का कांम्बिनेशन है। इसकी दोनों टेबलेट को मिलाकर मरीजों को दी जाती है। इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल अमेरिका में कोरोना की चपेट में आए 1040 मरीजों पर किया गया है। इस दवा के पांच दिन का कोर्स कराया गया, जिसमें उन्हें तीस गोलियां (टेबलेट) खिलाई गईं। उन मरीजों को सुबह-शाम मिलाकर छह गोलियों खानी पड़ी, जिसमें एक बार में तीन गोलियां में निरमेट्रलवीर की दो और रिटोनावीर की एक गोली का सेवन कराया गया। उसमें से 88 फीसद यानी 915 मरीज कोरोना का मात देने में कामयाब रहे। वहीं, 135 मरीजों में भी संक्रमण हल्का हो गया।
संक्रमण के पांचवें दिन से बेहतर रिजल्ट
कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने के पांचवें दिन से दवा का सेवन शुरू करने पर बेहतर रिजल्ट मिलता है। संक्रमण के सातवें दिन के बाद से सेवन करने पर दवा उतनी प्रभावी नहीं होती है, जितनी की शुरूआती लक्षण में होती है। इसलिए संक्रमण के लक्षण उभरने पर जांच कराने के बाद दवा का सेवन शुरू कर देना चाहिए।
वायरस पर ऐसे काम करती है दवा
कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद स्पाइक प्रोटीन शरीर के अंगों से जुड़ता है। निरमेट्रलवीर टेबलेट कोेरोना वायरस के उसी प्रोटीन को खत्म करना शुरू करती है, जिससे हमारे अंदरूनी अंगों से चिपक न सके। कोरोना वायरस का प्रोटीन खत्म होने से वह शरीर में अधिक देर तक क्षति नहीं पहुंचा पाता है। वहीं, दूसरी दवा रिटोनावीर का काम यह है कि निरमेट्रलवीर को अधिक देर तक शरीर में रोके रखे, ताकि वायरस बेदम होकर दम तोड़ दे।
कोरोना की नई दवा को लेकर आनलाइन प्लेटफार्म पर चर्चा हुई है। इसका अमेरिका में सफल क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया गया है। उसके परिणाम के आधार पर अमेरिकन एफडीए ने मंजूदी दे दी है। केंद्र सरकार को यहां भी इस दवा के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।
डा. विकास मिश्रा, प्रोफेसर, माइक्रोबायोलाजी विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।
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