Cancer treatment : कैंसर के उपचार में प्रगति को उजागर करने के लिए जागरूकता सत्र

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उन्नत कैंसर उपचार ने पेट के कैंसर से पीड़ित 63 वर्षीय कानपुर महिला की जान बची 

कैंसर सभी को प्रभावित कर सकता - बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, समय पर हस्तक्षेप जरूरी   
 
प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो- कानपुर 

मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, साकेत के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से एक जन जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। इस जागरूकता सत्र में कोलैबोरेटिव डिजीज मैनेजमेंट और अत्याधुनिक इलाज के तरीकों और रोग की प्राथमिक अवस्था में ही जांच करके डायग्नोसिस करने पर जोर दिया गया।


सत्र में बताया गया है कि कैंसर के इलाज में तकनीक अब बहुत अधिक विकसित हो चुकी है और मिनिमली एक्सेसिव पद्धति (छोटे से छेद से दूरबीन पद्धति से ) जटिल सर्जरी भी आसान हो गई है। विशेषज्ञ सर्जन पेट के कैंसर, लिवर कैंसर, कोलन कैंसर तथा ऐसी ही संकरे स्थानों पर बन चुकी कैंसर की गठानों को आसानी से निकाल सकते हैं।  


मैक्स हॉस्पिटल स्थित मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, साकेत नई दिल्ली  के चेयरमैन डॉ.हरित चतुर्वेदी ने बताया कि कैंसर के इलाज के क्षेत्र में हुए अत्याधुनिक शोध और तकनीकी विकास के कारण कैंसर के विभिन्न प्रकारों और लास्ट स्टेज में पहुंच चुके मरीजों में इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है। हाल ही में इन्ही एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से कई मरीजों की जान बचाई जा सकी है। कोरोना महामारी के दौर में मरीजों को इलाज के दौरान कम कम समय अस्पताल में रहना पड़े इसमें दा विंची रोबोट के जरिए मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी तथा रोबोटिक सर्जरी ने काफी मदद की है।


63 साल की महिला का कैंसर चौथी स्टेज में था कानपुर की पामिला ढींगरा (63) पेट दर्द, कब्ज की शिकायत के साथ अस्पताल में लाई गई थी। सीटी स्कैनिंग से अपेंडिक्स में कैंसर की गठान पाई गई जो पेट में स्थित कई अवयवों तक फैल गई थी। बायोप्सी से कैंसर के प्रकार और स्टेज की जानकारी सामने आई। इस तरह के कैंसर में कीमोथेपी से मरीज को राहत नहीं मिलती है। इस महिला की पूरी गठान सर्जरी से निकाली गई। पूरी तरह से कैंसर से निजात पाने के लिए आंत का कुछ हिस्सा भी बाहर निकालना पड़ा। कैंसर की गठान निकलने में 16 घंटे लगे, बाद में मरीज को कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट भी दिया गया।
 

मैक्स हॉस्पिटल के जीआई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ.असित अरोरा ने बताया कि सायटोरिडक्टिव सर्जरी और एचआईपीईसी चौथी स्टेज के कैंसर के ट्रीटमेंट में प्रभावी इलाज माना जाता है। मरीज का कैंसर पेट की अंदरूनी सतह तक फैल चुका था। पहले चौथी स्टेज के मरीजों के लिए कोई विश्वस्त इलाज मौजूद नहीं था।


मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कैंसर केयर/ऑंकोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. देवव्रत आर्य ने बताया कि हम अपने अस्पताल में नियमित रूप से कई तरह कैंसर जैसे कोलन, गुदामार्ग के कैंसर, पैंक्रियाज ग्रंथि के कैंसर, आहार नली कैंसर के साथ-साथ लिवर कैंसर का भी इसी तकनीक से ऑपरेशन सफलतापूर्वक कर रहे हैं।


मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली के मस्कुस्केलेटल ऑंकोलॉजी के डायरेक्टर डॉ अक्षय तिवारी ने बताया कि क्रायोसर्जरी के माध्यम से कैंसरग्रस्त हड्डी को शरीर से बाहर निकालकर उसे पूरी तरह कैंसर मुक्त करने के साथ उसी हड्डी को पुनः शरीर में स्थापित करने की योजना तैयार है। इलाज के बाद हड्डी को कंप्यूटर नेविगेशन पद्धति की मदद से पुनः शरीर के उसी स्थान पर सफलतापूर्वक जोड़ दिया जाता है।

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