Amazing Research on Covid-19 vaccination : वैक्सीनेशन के तीन माह बाद घटी इम्यूनिटी, बूस्टर डोज जरूरी

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आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनिका की वैक्सीन लगवाने वालों पर हुआ रिसर्च


प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लेंसेट में यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग के रिसर्च को मिली जगह




राज कृष्ण पांडेय, कानपुर


कोरोना वायरस Covid-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से निपटने की तैयारियों के बीच एक चिंताजनक जानकारी सामने आई है। इंग्लैंड की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनिका द्वारा तैयार वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी स्काटलैंड और ब्राजील में दोबारा कोरोना Covid-19 का संक्रमण तेजी से फैला। वजह जानने को ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग के विशेषज्ञों ने इन देशों के लोगों पर रिसर्च किया, क्योंकि यहां वैक्सीन की दोनों डोज के बीच 12 हफ्ते का अंतराल था। रिसर्च में चौकाने वाला तथ्य यह रहा कि वैक्सीनेशन के तीन माह बाद ही इम्यूनिटी कम होने लगी, जो दोबारा Covid-19 संक्रमण की वजह बनी। इस रिसर्च को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लेंसेट ने प्रकाशित किया है। इसे गंभीरता से लेते हुए इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजी के विशेषज्ञों ने मंथन के उपरांत देश में बूस्टर डोज लगावाने का सुझाव सरकार को दिया है। इस मंथन में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा भी शामिल रहे।


ब्राजील एवं स्काटलैण्ड में दोबारा कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैला है। यहां कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपाया था। कोरोना से बचाव के लिए ब्रिटेन के आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी व एस्ट्राजेनिका द्वारा तैयार वैक्सीन लगाई गई। जब वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण फैला तो विशेषज्ञों के कान खड़े हो गए। ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) की यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग के प्रो. अजीज शेख एवं उनकी टीम की देखरेख में स्काटलैंड के दो मिलियन (20 लाख) और ब्राजील के 42 मिलियन (चार करोड़ 20 लाख ) व्यक्तियों पर शोध किया है। इस अध्ययन में शामिल सभी लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थीं।



शोध में पता चला कि वैक्सीन लगने के तीन माह बाद वैक्सीनेशन से तैयार इम्यूनिटी कम होने लगी। इस वजह से उन्हें दोबारा कोरोना का संक्रमण हुआ। इम्यूनिटी कम होने से कोरोना का खतरा 5 से 10 गुणा तक अधिक बढ़ गया। ऐसे लोगों को भी अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ गई। उनमें मृत्यु का खतरा भी तीन गुणा तक बढ़ गया।



जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्रो. विकास मिश्रा का कहना है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई थी। देश मेें सेकेंड डोज के बाद 144 मिलियन डोज लगाई गई है। उसमें से 114 मिलियन डोज दो हफ्ते के अंतराल में लगाई गई है। भारत में एस्ट्राजेनिका और भारत सीरम इंस्टीट्यूट के सहयोग से तैयार कोविशील्ड वैक्सीन 90 प्रतिशत लोगों को लगाई गई है, जबकि 10 प्रतिशत में अन्य वैक्सीन हैं। इसलिए सतर्कता जरूरी है।



इन्हें जरूरी बूस्टर डोज


डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय व वार्ड आया, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी एवं प्रशासन से जुड़े अधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी।


एस्ट्राजेनिका और भारत सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर चौकाने वाला रिसर्च ब्रिटेन में हुआ है। वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के तीन माह बाद इम्यूनिटी कम हो रही है। इस वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। इस रिसर्च के बाद देश भर के माइक्रोबायोलाजिस्ट चिंतित हैं। सरकार को बूस्टर डोज लगाने का सुझाव दिया गया है।


  • डा. विकास मिश्रा, प्रोफसर, माइक्रोबायोलाजी विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।

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