दिनांक : 23 नवंबर, मंगलवार
विक्रम संवत : 2078
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : हेमंत
मास : मार्ग शीर्ष मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार कार्तिक)
पक्ष : कृष्ण
तिथि : चतुर्थी रात्रि 12:53 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र : आर्द्रा दोपहर 01:44 बजे तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग : शुभ पूर्ण रात्रि तक
राहुकाल : शाम 03:10 बजे से शाम 04:33 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:54 बजे
सूर्यास्त : संध्या 17:54 बजे
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
पंचक काल
12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक।
09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।
व्रत पर्व विवरण
एकादशी व्रत
30 नवंबर : उत्पन्ना एकादशी
14 दिसंबर- मोक्षदा एकादश
प्रदोष
02 दिसंबर : प्रदोष व्रत
31 दिसंबर : प्रदोष व्रत
30 दिसंबर : सफला एकादशी
पूर्णिमा
18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा
अमावस्या
04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या
विशेष महात्म्य
अंगारकी- मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 12:53 तक), संकट चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 9:00 बजे)
विशेष
चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का एक विशेष महत्व होता है और अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा देखने को मिलेगा। तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि घरों में तुलसी की पूजा की जाती है। लोग नियमित तौर पर सुबह-शाम तुलसी की दीपकर जलाते हैं और श्रद्धा भाव से पूजा व आरती करते हैं। क्या आप जानते हैं कि घर में तुलसी के पौधे को किस दिशा में रखना चाहिए, क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे को रखने की एक सही जगह और दिशा होनी चाहिए। अगर आपके घर में तुलसी का पौधा है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
आएं जानें तुलसी का पौधा घर में रखने की सही जगह:-
तुलसी का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही आस्था का भी प्रतीक है। इसलिए आपको यह पता होना चाहिए कि वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा किस दिशा में रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के मुताबिक आपके घर में तुलसी का पौधा है तो आपको बता दें कि इस पौधे को घर की बालकनी या खिड़की की उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इन दिशाओं में देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। इन जगहों पर तुलसी के पौधे को रखना शुभ होता है।
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में आस्था का प्रतीक है। इसलिए तुलसी का पौधा घर में लगाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।
ध्यान रखें
तुलसी के साथ कभी भी कैक्टस और कांटेदार पौधे को कभी नहीं रखना चाहिए।
मान्यता है कि अमावस्या, द्वादशी और चतुर्दशी तिथि को तुलसी के पत्तों को भूलकर भी न तोड़ें।
रविवार के दिन तुलसी की पूजा नहीं की जाती। न ही जल अर्पित करना चाहिए। रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। तुलसी के पत्तों को कभी नाखून से नहीं तोड़ना चाहिए।
तुलसी का पौधा अगर सूख जाए तो ज्यादा दिन घर में नहीं रखना चाहिए। उससे नकारात्मकता आती है। तुलसी का पौधा सूख जाए तो गमले से निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।
मान्यता है कि पूजा के दौरान देवी-देवताओं को तुलसी पत्र अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इसका विशेष याद रखें कि गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्तों को भूलकर भी शामिल नहीं करें।
मंगलवारी चतुर्थी
मंत्र जप व शुभ संकल्प की सिद्धि के लिए विशेष योग
मंगलवारी चतुर्थी को किये गए जप-संकल्प, मौन व यज्ञ का फल अक्षय होता है।
मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ... जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है...।
कोई कष्ट हो तो
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, जो मिटती नहीं हैं। कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या होने पर ऐसे लोगों को शिवपुराण में बताया गया एक प्रयोग कर सकते हैं, जिसमें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है। उस दिन सुबह छह मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों जाएं।
छह मंत्र इस प्रकार हैं:-
ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे।
ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबरायें।
ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले। उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें।
ॐ प्रमोदाय नम: प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं। भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है। आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती हैं। और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है।
ॐ अविघ्नाय नम:
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
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