एक अध्ययन में पता चला, 44 में सिर्फ पांच फीसद को ही आया बुखार, ज्यादातर को गले में संक्रमण और हुई खांसी की समस्या
वायरस के स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन मिले, 10 म्यूटेशन सिर्फ स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग में हुए
देश-दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे मंथन, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी के प्रोफेसर भी
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
कोरोना वायरस का ओमिक्रोन वैरिएंट पहले संक्रमित हो चुके लोगों के लिए ज्यादा घातक नहीं है। एक अध्ययन में पता चला है कि जिन्हें पहले कोरोना का संक्रमण हो चुका था, उन पर नया वैरिएंट ज्यादा असर नहीं डाल रहा। उनमें हल्के लक्षण पाए गए हैं। अधिकतर के गले में संक्रमण और खांसी की समस्या पाई गई। 44 मरीजों में सिर्फ पांच फीसद में ही बुखार की शिकायत मिली है। हालांकि अभी भारत में नए वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है। ऐसे में यहां का वातावरण, प्रतिरोधक क्षमता, कोरोना संक्रमण के बाद बनी एंटीबाडी और वैक्सीनेशन से मिली प्रतिरोधक क्षमता पर भी निर्भर करेगा कि नया वैरिएंट कितना घातक है।
अमेरिकन एसोसिएशन आफ माइक्रोबायोलाजी की आनलाइन प्लेटफार्म पर हुई बैठक में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा भी शामिल हुए। उनके मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की जीन सीक्वेंसिंग में 50 म्यूटेशन पाए गए हैं। इसमें वायरस के स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन मिले, उसमें से 10 म्यूटेशन सिर्फ स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग में पाए गए हैं। भारत में अब तक सक्रिय डेल्टा वायरस में सिर्फ दो म्यूटेशन मिले थे, जिससे वह घातक हो गया था। उस पर कोरोना वैक्सीन 50 फीसद ही प्रभावी थी, जबकि ओमिक्रोन को लेकर वैक्सीन के प्रभाव पर विशेषज्ञ अपनी राय देने को जल्दबाजी कह रहे हैं। देश-दुनिया के विशेषज्ञ मंथन पर जुटे हैं। डॉ. मिश्रा के मुताबिक, अपने देश में इस वायरस के आने के बाद तमाम कारण पर उसकी आक्रामकता निर्भर करेगी।
इनके लिए हो सकता घातक
बुजुर्गों, मधुमेह, किडनी रोग, हृदय रोग, कैंसर, हाइपरटेशन, दमा, सीओपीडी और फेफड़े से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त।
तेजी से फैलता है संक्रमण
Prof. Vikas Mishra. |
प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन नौ नवंबर को पाया गया है। ओमिक्रोन वैरिएंट अंदर जाकर शरीर के रिसेप्टर से तेजी से चिपकता जाता है, जिससे संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है।
दक्षिण अफ्रीका में 21 दिन में आक्रामक
पहला केस रिपोर्ट होने के महज 21 दिन में दक्षिण अफ्रीका में पहले से सक्रिय कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के संक्रमितों से ऊपर ओमिक्रोन वैरिएंट के संक्रमितों की संख्या निकल गई, जिससे साफ है कि यह वायरस तेजी से संक्रमण फैला रहा है। डॉ. मिश्रा का कहना है कि नए वैरिएंट को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न की कैटेगरी में रखा है।
ज्यादा म्यूटेशन ने बढ़ाई चिंता
कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को लेकर ही कोरेाना की वैक्सीन तैयार की गई है। ऐसे में स्पाइक प्रोटीन में अत्यधिक म्यूटेशन ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। डॉ. मिश्रा का कहना है कि भारत में दूसरी लहर का जिम्मेदार कोरोना के डेटा वैरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में सिर्फ दो म्यूटेशन हुए थे, जिस वजह से 50 फीसद ही वैक्सीन प्रभावी थी।
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