अमृत महोत्सव के अंतर्गत महिला स्वास्थ्य, सशक्तीकरण एवं एनीमिया मुक्त भारत के तहत कार्यक्रम का आयोजन
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
गर्भवती में एनीमिया दूर करने के लिए हर संभव उपाए किए जाएं। शिशु के दिमाग के विकास के लिए आयरन जरूरी है। इसलिए गर्भवती महिलाएं खानपान का ध्यान रखें, ताकि शिशु काे पोषण मिलता रहे। यह बातें रविवार को अमृत महोत्सव के अंतर्गत महिला स्वास्थ्य, सशक्तीकरण एवं एनीमिया मुक्त भारत के तहत महिला सशक्तीकरण फाउंडेशन, कानपुर आब्सटेट्रिक्स एवं गायनकोलाजी सोसाइटी (काग्स) के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय होटल में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर ने कहीं।
वहीं, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने कहा कि गर्भवती में खून की कमी दूर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व किशोरियों को जागरूक करने की जरूरत है। इसी क्रम में वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवं महिला सशक्तीकरण फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रो. मीरा अग्निहोत्री की अध्यक्षता में काग्स की अध्यक्ष डा. उषा गोयनका, सचिव डा. कंचन शर्मा, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डा. किरन पांडेय, काग्स की पूर्व अध्यक्ष डा. नीलम मिश्रा ने विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एनीमिया के कारणों व उसके निवारण पर चर्चा की गई।
इससे पहले मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व संगठन की पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। महिला डाक्टरों ने अलग-अलग राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा में रैंपवाक किया। अंत में डा. मीरा अग्निहोत्री ने भारत को एनीमिया मुक्त करने की शपथ भी दिलाई। इस दौरान डा. सीमा द्विवेदी, डा. रेशमा निगम, डा. कल्पना दीक्षित, डा. वीसी रस्तोगी, डा. सविता रस्तोगी, डा. अंगद सिंह व बड़ी संख्या महिला डाक्टर मौजूद रहीं।
एनीमिया का सामान्य लक्षण
थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, सांस फूलना, अनियमित धड़कन, चिड़चिड़ापन, होंठ, पलकों के अंदरुनी हिस्से और मुंह के अंदर पीलापन, पैरों में ऐंठन, बाल झड़ना, भूख कम लगना।
एनीमिया के गंभीर लक्षण
जीभ में दर्द, सामान्य से ज्यादा ठंड, कानों में घंटी की आवाज, भोजन के स्वाद में बदलाव, खाली बैठकर पैर हिलाने की इच्छा, मुंह के किनारे फटना या छाले से होना, निगलने में दिक्कत, खुजलाहट
खाने की असामान्य इच्छा
कई बार एनीमिया की वजह से ऐसी चीजें खाने की इच्छा होती है, जो खाने योग्य नहीं होती:- जैसे मिट्टी, गीली मिट्टी, साबुन, बर्फ, तारकोल, चाक, राख।
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