विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - नवमी दोपहर 02 :43 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र - अश्लेशा दोपहर 12:52 तक तत्पश्चात मघा
योग - शुक्ल 01 नवंबर रात्रि 01:00 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल - सुबह 09:31 से सुबह 10:57 तक
सूर्योदय - 06:41
सूर्यास्त - 18:02
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
पंचक
12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक।
09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।
एकादशी
01 नवंबर : रमा एकादशी
14 नवंबर : देवुत्थान एकादशी
30 नवंबर : उत्पन्ना एकादशी
14 दिसंबर : मोक्षदा एकादशी
30 दिसंबर : सफला एकादशी
प्रदोष
02 नवंबर : भौम प्रदोष
16 नवंबर : भौम प्रदोष
02 दिसंबर : प्रदोष व्रत
31 दिसंबर : प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
18 नवंबर : कार्तिक पूर्णिमा
18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा
अमावस्या
04 नवम्बर : कार्तिक अमावस्या
04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
यदि वास्तुदोष के कारण आपके घर में परेशानियां आ रही हो तो आप गंगाजल को पीतल की बोतल में भरें और उसे अपने घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रख दें। इससे आपकी समस्या जल्द ही हल हो जाएगी। गंगाजल को हमेशा अपने पूजास्थल और किचन के उत्तर-पूर्व में रखें, धीरे-धीरे आपको तरक्की और सफलता मिलने लगेगी
दीपावलीः लक्ष्मीप्राप्ति की साधना
04 नवम्बर 2021 गुरुवार को दीपावली है।
दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।
मिट्टी के कोरे दिये में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दिये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दिये में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।
लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो मालायें जपें।
ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद् महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।
अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।
धनतेरस
02 नवम्बर 2021 मंगलवार को धनतेरस हैं |
‘स्कंद पुराण’ में आता है कि धनतेरस को दीपदान करनेवाला अकाल मृत्यु से पार हो जाता है | धनतेरस को बाहर की लक्ष्मी का पूजन धन, सुख-शांति व आंतरिक प्रीति देता है | जो भगवान की प्राप्ति में, नारायण में विश्रांति के काम आये वह धन व्यक्ति को अकाल सुख में, अकाल पुरुष में ले जाता है, फिर वह चाहे रूपये – पैसों का धन हो, चाहे गौ – धन हो, गजधन हो, बुद्धिधन हो या लोक – सम्पर्क धन हो | धनतेरस को दिये जलाओगे .... तुम भले बाहर से थोड़े सुखी हो, तुमसे ज्यादा तो पतंगे भी सुख मनायेंगे लेकिन थोड़ी देर में फड़फड़ाकर जल – तप के मर जायेंगे | अपने – आपमें, परमात्मसुख में तृप्ति पाना, सुख - दुःख में सम रहना, ज्ञान का दिया जलाना – यह वास्तविक धनतेरस, आध्यात्मिक धनतेरस है |
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