Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (29 अक्टूबर 2021)

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29 अक्टूबर, दिन : शुक्रवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु - हेमंत


मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)


पक्ष -  कृष्ण


तिथि - अष्टमी  दोपहर 02 :09 तक तत्पश्चात नवमी


नक्षत्र -  पुष्य  सुबह 11:39 तक तत्पश्चात अश्लेशा


योग -  शुभ 30 अक्टूबर रात्रि 02:00 तक तत्पश्चात शुक्ल


राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक


सूर्योदय - 06:41

 

सूर्यास्त - 18:03


दिशाशूल - पश्चिम दिशा में


पंचक


12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 


09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


01 नवंबर : रमा एकादशी


14 नवंबर : देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर : उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर : मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर : सफला एकादशी


प्रदोष


02 नवंबर : भौम प्रदोष


16 नवंबर : भौम प्रदोष


02 दिसंबर : प्रदोष व्रत


31 दिसंबर : प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


18 नवंबर : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


04 नवम्बर : कार्तिक अमावस्या


04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या


व्रत पर्व विवरण -

 

विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


वहीं जिन लोगों को रात में डरवाने सपने आते हों, वे लोग रात में सोने से पहले बिस्तर पर  गंगाजल का छिड़काव कर दें. इससे डरावने सपने नहीं आते हैं


धनतेरस के दिन दीपदान


पहले बताई विधि के अनुसार यमदीपदान करें।


निर्धनता दूर करने के लिए अपने पूजाघर में  धनतेरस की शाम को अखंड दीपक जलाना चाहिए जो दीपावली की रात तक जरूर जलता रहे। अगर दीपक भैयादूज तक अखंड जलता रहे तो घर के सारे वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं।


घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें साथ ही दिए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें।


घर के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा उसमें दो काली गुंजा डाल दें, गन्धादि से पूजन करके अपने घर के मुख्य द्वार पर अन्न की ढ़ेरी पर रख दें। साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। स्मरण रहे वह दीप रातभर जलते रहना चाहिये, बुझना नहीं चाहिये।

         


दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की साधना-विधियाँ


02 नवम्बर 2021 मंगलवार  को धनतेरस है ।

धनतेरस से आरम्भ करें

सामग्री

दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र,धूप, अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र l


विधि: साधक अपने सामने गुरुदेव व लक्ष्मीजी के फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें l उस पर केसर से सतिया बना लें तथा कुम कुम से तिलक कर दें l


बाद में स्फटिक की माला से निम्न मंत्र की 7 मालाएँ करें l तीन दिन तक ऐसा करने योग्य है l इतने से ही मंत्र-साधना सिद्ध हो जाती है l मंत्रजाप पूरा होने के पश्चात् लाल वस्त्र में शंख को बांधकर घर में रख दें l


कहते हैं- जब तक वह शंख घर में रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी l


मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो ह्रीं ॐ नमः l

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