Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (12 अक्टूबर 2021)

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दिनांक: 12 अक्टूबर, दिन : मंगलवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : अश्विन


 पक्ष - शुक्ल


तिथि - सप्तमी रात्रि 09:47  तक तत्पश्चात अष्टमी


नक्षत्र - मूल सुबह 11:27 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा


योग - शोभन सुबह 08:51 तक तत्पश्चात अतिगण्ड


राहुकाल -  शाम 03:21 से शाम 04:49 तक


सूर्योदय - 06:34 


सूर्यास्त - 18:15


दिशाशूल - उत्तर दिशा में


पंचक

 15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021 तक। 

. 12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 

. 09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


16 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी


01 नवंबर: रमा एकादशी


14 नवंबर: देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर: सफला एकादशी


प्रदोष


04 अक्टूबर: सोम प्रदोष


17 अक्टूबर: प्रदोष व्रत


02 नवंबर: भौम प्रदोष


16 नवंबर: भौम प्रदोष


02 दिसंबर: प्रदोष व्रत


31 दिसंबर: प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


20 अक्टूबर , बुधवार: आश्विन पूर्णिमा


18 नवंबर, बृहस्पतिवार : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर, शनिवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


कार्तिक अमावस्या 04 नवम्बर 2021, गुरुवार

मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसम्बर 2021, शनिवार


व्रत पर्व विवरण- सरस्वती-पूजन

 

 विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

         

बुधवारी अष्टमी


13 अक्टूबर 2021 बुधवार को (सूर्योदय से रात्रि 08:08 तक) बुधवारी अष्टमी है ।

 

मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि


सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।


इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

         

काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए


अगर काम धंधा करते समय  सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी हो, बेल के कोमल कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को अर्पण करने से (मंत्र बोले " ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः । ") और थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है गुरु मंत्र का जप और कभी कभी ये प्रयोग करें नवरात्रियों में तो खास करें | देवी भागवत में वेद व्यास जी ने बताया है।


दुर्गाष्टमी


13 अक्टूबर, बुधवार को दुर्गाष्टमी है ।


प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।


नारदपुराण पूर्वार्ध अध्याय 117


आश्विने शुक्लपक्षे तु प्रोक्ता विप्र महाष्टमी ।। ११७-७६ ।।

तत्र दुर्गाचनं प्रोक्तं सव्रैरप्युपचारकैः ।।

उपवासं चैकभक्तं महाष्टम्यां विधाय तु ।। ११७-७७ ।।

सर्वतो विभवं प्राप्य मोदते देववच्चिरम् ।।


आश्विन मास के शुक्लपक्ष में जो अष्टमी आती है, उसे महाष्टमी कहा गया है (महाष्टमी 13 अक्टूबर, बुधवार को है ) उसमें सभी उपचारों से दुर्गा के पूजन का विधान है। जो महाष्टमी को उपवास अथवा एकभुक्त व्रत करता है, वह सब ओर से वैभव पाकर देवता की भाँति चिरकाल तक आनंदमग्न रहता है।

भविष्यपुराण, उत्तरपर्व, अध्याय – २६


देव, दानव, राक्षस, गन्धर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, नर आदि सभी अष्टमी तथा नवमी को उनकी पूजा-अर्चना करते हैं | आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी को जगन्माता भगवती श्रीअम्बिका का पूजन करने से सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो जाती है | यह तिथि पुण्य, पवित्रता, धर्म और सुख को देनेवाली है | इस दिन मुंडमालिनी चामुंडा का पूजन अवश्य करना चाहिये |

देवीभागवतपुराण पञ्चम स्कन्ध


अष्टम्याञ्च चतुर्दश्यां नवम्याञ्च विशेषतः ।

कर्तव्यं पूजनं देव्या ब्राह्मणानाञ्च भोजनम् ॥

निर्धनो धनमाप्नोति रोगी रोगात्प्रमुच्यते ।

अपुत्रो लभते पुत्राञ्छुभांश्च वशवर्तिनः ॥

राज्यभ्रष्टो नृपो राज्यं प्राप्नोति सार्वभौमिकम् ।

शत्रुभिः पीडितो हन्ति रिपुं मायाप्रसादतः ॥

विद्यार्थी पूजनं यस्तु करोति नियतेन्द्रियः ।

अनवद्यां शुभा विद्यां विन्दते नात्र संशयः ॥


अष्टमी, नवमी एवं चतुर्दशी को विशेष रूप से देवीपूजन करना चाहिए और इस अवसर पर ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए। ऐसा करने से निर्धन को धन की प्राप्ति होती है, रोगी रोगमुक्त हो जाता है, पुत्रहीन व्यक्ति सुंदर और आज्ञाकारी पुत्रों को प्राप्त करता है और राज्यच्युत राज को सार्वभौम राज्य प्राप्त करता है। देवी महामाया की कृपा से शत्रुओं से पीड़ित मनुष्य अपने शत्रुओं का नाश कर देता है। जो विद्यार्थी इंद्रियों को वश में करके इस पूजन को करता है, वह शीघ्र ही पुण्यमयी उत्तम विद्या प्राप्त कर लेता है इसमें संदेह नहीं है।


नवरात्रि अष्टमी को महागौरी की पूजा सर्वविदित है साथ ही अग्निपुराण के अध्याय 268 में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को भद्रकाली की पूजा का विधान वर्णित है।


स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड कुमारिकाखण्ड में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को वत्सेश्वरी देवी की पूजा का विधान बताया है।


गरुड़पुराण अष्टमी तिथिमें दुर्गा और नवमी तिथिमें मातृका तथा दिशाएँ पूजित होनेपर अर्थ प्रदान करती है ।

        

शारदीय नवरात्रि


नवरात्रि  की सप्तमी तिथि यानी सातवें दिन माता दुर्गा को गुड़ का भोग लगाएं ।इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

        

शारदीय नवरात्रि


शत्रुओं का नाश करती हैं मां कालरात्रि महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।

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