Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (03 अक्टूबर 2021)

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दिनांक: 03 अक्टूबर, दिन : रविवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : अश्विन


पक्ष : कृष्ण


तिथि : द्वादशी रात्रि 10:29 बजे तक तत्पश्चात त्रयोदशी


नक्षत्र : मघा 04 अक्टूबर रात्रि 03:26 बजे तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी


योग :  साध्य शाम 04:18 बजे तक तत्पश्चात शुभ


राहुकाल : संध्या 04:55 बजे से संध्या 06:25 बजे तक


सूर्योदय : प्रातः 06:31 बजे


सूर्यास्त : संध्या 18:23 बजे


दिशाशूल : पश्चिम दिशा में


व्रत पर्व विवरण : रेंटिया द्वादशी, द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध, मघा श्राद्ध


विशेष : रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)


रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)


रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)


स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।


सोमप्रदोष व्रत


हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। सोमवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे सोमप्रदोष कहा जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 04 अक्टूबर, सोमवार को सोमप्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है।


ऐसे करें व्रत व पूजा


प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।


इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।


पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।


भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।


भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।


ये उपाय करें


सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं। ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है, भाग्योदय भी हो सकता है।


कर्ज-मुक्ति के लिए मासिक शिवरात्रि


04 अक्टूबर 2021 सोमवार को मासिक शिवरात्रि है।


हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्‍त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें, जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो, वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें, जिससे कर्जा से मुक्ति मिलेगी।


1). ॐ शिवाय नम:


2). ॐ सर्वात्मने नम:


3). ॐ त्रिनेत्राय नम:


4). ॐ हराय नम:


5). ॐ इन्द्र्मुखाय नम:


6). ॐ श्रीकंठाय नम:


7). ॐ सद्योजाताय नम:


8). ॐ वामदेवाय नम:


9). ॐ अघोरह्र्द्याय नम:


10). ॐ तत्पुरुषाय नम:


11). ॐ ईशानाय नम:


12). ॐ अनंतधर्माय नम:


13). ॐ ज्ञानभूताय नम:


14). ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:


15). ॐ प्रधानाय नम:


16). ॐ व्योमात्मने नम:


17). ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:


आर्थिक परेशानी से बचने हेतु


हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि - कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है। जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते हैं वो उस दिन संध्या के समय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करें।


और रात को जब 12 बज जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी।


प्रति वर्ष में एक महाशिवरात्रि आती है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन शाम को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रख कर बैठें और भगवान शिवजी के नाम का जप करें। इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जल्दी उतरता है, आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं।


श्राद्ध की तिथियां :

द्वादशी श्राद्ध : 3 अक्टूबर

त्रयोदशी श्राद्ध : 4 अक्टूबर

चतुर्दशी श्राद्ध : 5 अक्टूबर

अमावस्या श्राद्ध : 6 अक्टूबर

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