प्रारब्ध न्यूज़ - अध्यात्म
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में जो अष्टमी आती है उसे महाष्टमी कहा गया है। इसमें विधि विधान से दुर्गा जी का पूजन किया जाता है एवं व्रत किया जाता है। जो महाअष्टमी में उपवास या व्रत करता है ,उसको सभी तरह के वैभव प्राप्त होते हैं और सभी प्रकार से सुख शान्ति प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है की देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, नर आदि सभी अष्टमी तथा नवमी को मां दुर्गा की पूजा करते हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी को जगन्माता भगवती श्री अंबिका का पूजन करने से सभी विपदाओं से मुक्त हो जातें हैं। यह तिथि पुण्य, पवित्रता और सुख को देने वाली है।इस दिन मुंडमालिनी चामुंडा का पूजन अवश्य करना चाहिए।
हवन विधि
मां दुर्गा का पूजन करते समय पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले माँ की रोज की पूजा करने के बाद अग्नि की स्थापना करना चाहिए फिर हवन के लिए, आम की लकड़ी को हवनकुण्ड में चौकोर रूप में रखकर, मध्य मे कपूर रखकर जला दें। इसके बाद मंत्रों से हवन शुरू करना चाहिए।
मंत्रों के सही उच्चारण के साथ हवन कुंड में आहुति डालें
ऊँ आग्नेय नमः स्वाहा,ऊँ गणेशाय नमः स्वाहा,ऊँ गौरियाय नमः स्वाहा,ऊँ नवग्रहाय नमः स्वाहा,ऊँ दुर्गाय नमः स्वाहा,ऊँ महाकालिकाय नमः स्वाहा,ऊँ हनुमते नमः स्वाहा,ऊँ भैरवाय नमः स्वाहा,ऊँ कुलदेवताय नमः स्वाहा,ऊँ स्थान देवताय नमः स्वाहा,ऊँ ब्रह्माय नमः स्वाहा,ऊँ विष्णुवे नमः स्वाहा,ऊँ शिवाय नमः स्वाहा,ऊँ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते स्वाहा,ऊँ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरान्तकारी भानुः क्षादिः भूमि सुतो बुद्धच्श्रः गुरूच्श्र शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति करः स्वाहा,ऊँ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वरः गुरू साक्षात परब्रह्म तसमै श्री गुरुवे नमः स्वाहा,ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिंम पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात मृत्युन्जय नमः स्वाहा,ऊँ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे सर्व स्थार्ति हरे देवी नारायणी नमोस्तुते।
पूर्ण आहुति
पूर्णाहुति के लिए। सूखे नारियल के गोले में कलावा बांधकर फिर चाकू से ऊपर भागने काटकर सिंदूर लगाकर घी भर दें।इस गोला को लाल तूल में लपेट कर धागे से बाँध दें।अब इस गोले के साथ पान सुपारी लौंग ,जायफल,बताशा व अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोलते हुए हवन में चढ़ा दें।
मंत्र
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पुर्णात पुण्यमुदच्यते पूर्णस्य
पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा
पूर्णाहुति के बाद मां दुर्गा के सामने यथाशक्ति दक्षिणा रखकर, परिवार सहित माँ की आरती करके अपने द्वारा किए गए अपराधों एवं भूल चुक के लिए माता रानी से क्षमा याचना करें। तत्पश्चात ₹1 या जितनी श्रद्धा हो अपने ऊपर से किसी और से उतरवाकर दूसरे को दे दें।
इस तरह से सरल रीति से घर पर हवन संपन्न किया जा सकता है।
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