- न्याय के लिए ट्विटर को मीनाक्षी ने बनाया हथियार, 16 ट्वीट करके केन्द्र व प्रदेश सरकार को हिलाया
- सोशल मीडिया की ताकत का कराया एहसास, पढ़ी-लिखी होने का पूरा मिला लाभ
- हादसे में तब्दील करने वाली खाकी की खोली पोल, महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बनी बर्रा की मीनाक्षी
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
देश व प्रदेश को झकझोर देने वाला कानपुर के मनीष गुप्ता का गोरखपुर पुलिस द्वारा किया गया हत्याकांड सबूत के अभाव में पुलिसिया जांच में उलझ कर रह जाता। अगर उसकी पत्नी मीनाक्षी हिम्मत हार जाती। मीनाक्षी पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा, जैसे ही उसे घटना की सूचना मिली। वह कुछ पलों के लिए वह शून्य व निराश हो चली थी, लेकिन साथ चार साल के बेटे ने मां को हिम्मत दी। बेटे का मुंह देखकर मीनाक्षी ने अपने को फिर हालातों से जूझने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया।
मीनाक्षी पढ़-लिखी थी, इसलिए उसने परिवार को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। मीनाक्षी की मानें तो सबसे पहले उसने ट्विटर एकाउंट ओपन किया। एक एक करके सारे साक्ष्य को एकत्र करके ट्विटर पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। पूरे घटना क्रम के दौरान मीनाक्षी ने इतने कठिन समय में भी साहस बनाए रखते हुए पीएम से लेकर सीएम तक सोलह ट्वीट करके गोरखपुर पुलिस के कार्यशैली को तार-तार कर दिया। जिसका परिणाम यह है कि केन्द्र व प्रदेश सरकार मीनाक्षी के लिए झुक गयी और उसे न्याय मिलने में मदद मिली।
घटनाक्रम के बाद मीनाक्षी इतनी कठिन दौर से गुजर रही थी, लेकिन उसने मन ही मन ठान लिया था कि हत्यारों को छोड़ेगी नहीं। अगर मीनाक्षी जरा सी कमजोर पड़ती तो हत्या एक घटना बनकर समाप्त हो जाती। पांच दिन के पूरे घटनाक्रम में मीनाक्षी न्याय के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का भरपूर इस्तेमाल किया। इस दौरान मीडिया से भी यही आग्रह किया कि वे उन्हें न्याय दिलाने में मदद करें। पांच दिन के पूरे घटनाक्रम के अंदर मीनाक्षी जो बहू बनकर घर के अंदर आयी थी वह न्याय के लिए दहलीज पार करके बेटा बन गयी।
मीनाक्षी का बेटा अभिराज गुप्ता
बर्रा-3 निवासी मीनाक्षी की शादी मनीष गुप्ता से हुई थी। मनीष प्रापर्टी का काम करते थे। इसी सिलसिले में वे अपने दो दोस्तों के साथ गोरखपुर गये थे। जहां पर स्थानीय पुलिस होटल में रूटीन चेकिंग के दौरान मनीष से अभद्रता करते पूछताछ की और जमकर पीटा जिससे उनकी मौत हो गयी थी। घटना की सूचना शहर आते ही कोहराम मच गया। व्यापारी हत्या का मामला तूल पकडते ही गोरखपुर पुलिस उसे तत्काल एक्सीडेंट बनने में जुट गयी। लेकिन मीनाक्षी दुखों का पहाड झेलते हुए गोरखपुर पुलिस के चेहरे को बेनकाब करने में जुट गयी।
सास-ससुर व चार साल के बेटे को न्याय दिलाने के लिए उसने सरकार व प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया,जिसका परिणाम यह हुआ कि मीनाक्षी के साहस के बल पर पूरे परिवार को न्याय मिला। सीएम ने परिवार से मुलाकात करके उनकी सारी मांगों को स्वीकार किया। हालांकि घटनाक्रम के दौरान शहर के सभी अधिकारियों ने उन्हें भरपूर समझाने का प्रयास किया, लेकिन मीनाक्षी ने किसी की न सुनी।
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