- मेट्रो डिपो से निकलकर गीतानगर से विश्वविद्यालय तक मुख्य ट्रैक पर चलाई मेट्रो रेल
- शाम चार बजे डिपो से निकाली गई, पांच किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाई गई
- मेट्रो की चमकती लाइट से आकर्षित हुए लोग, लौटते समय जाने के मुकाबले तेज रफ्तार
प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है कि लखनऊ के बाद अब कानपुर मेट्रो रेल भी ट्रैक पर दौड़ने के लिए तैयार है। शहरवासियों के लिए अच्छी खबर है कि उन्हें अब कुछ दिन और अपनी मेट्रो पर सफर करने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। काेरोना काल के बावजूद दो वर्ष के रिकार्ड समय में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन शनिवार को कानपुर मेट्रो ट्रेन को मेट्रो डिपो से निकाल कर पहली बार मुख्य ट्रैक पर दौड़ाने में कामयाब हुआ। शाम को चार बजे डिपो से निकली मेट्रो ट्रेन गीता नगर मेट्रो स्टेशन पहुंची। फिर उसे वहां से विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक लाया गया।
मेट्रो ट्रेन को कई दिनों से डिपो के अंदर चलाकर टेस्टिंग की जा रही थी। मेट्रो को मुख्य ट्रैक पर चलाने का प्रयास चल रहा था। इस सिलसिले में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव भी यहां आए थे। उन्होंने सभी कार्यों की समीक्षा की। साथ ही मेट्रो ट्रेन के ट्रायल को गति प्रदान करने का निर्देश दिया था।
एमडी के जाने के दूसरे दिन ही शनिवार शाम चार बजे मेट्रो रेल के डिपो से निकाल कर मुख्य ट्रैक के स्लोप पर चढ़ाया गया। धीरे-धीरे ट्रेन को मुख्य ट्रैक से गीतानगर स्टेशन तक लेकर गए। गीतानगर मेट्रो स्टेशन के पास ट्रेन को काफी देर रोका गया। वहां पर ट्रैक्शन, लोड ट्रेस्टिंग और ट्रेन के बाइलेंस की जांच की गई।
फिर मेट्रो ट्रेन को गीतानगर स्टेशन से पांच किलोमीटर की रफ्तार से शाम 5.30 बजे गुरुदेव मेट्रो स्टेशन के लिए रवाना किया गया। अंधेरा होने पर ट्रेन की सभी लाइटें भी जला दी गईं। शाम को अपने-अपने घरों के लिए जीटी रोड से वापसी कर रहे शहरवासी मुख्य ट्रैक पर पहली बार दौड़ती और जगमगाती अपनी मेट्रो रेल को देखकर जहां-जहां खड़े होकर निहारने लगे। पालीटेक्निक चौराहा पर दोनों तरफ लोगों की भीड़ जुटी रही। लोग दुकानों से बाहर निकल कर मेट्रो को चलते हुए देखने लगे।
गुरुदेव मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो ट्रेन को रोका गया। उसके बाद वहां से ट्रेन को विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक लेकर गए। फिर ट्रेन वहां से गीता नगर मेट्रो स्टेशन गई और फिर वहा से ट्रेन को वापस मेट्रो डिपो लाया गया। लौटते समय मेट्रो ट्रेन की रफ्तार बढ़ाई भी गई। काफी देर तक मुख्य ट्रैक पर ट्रेन को खड़ाकर उसकी की जांच भी होती रही।
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