- नवाबगंज निवासी वरिष्ठ नागरिक वीएसएसडी कालेज से करेंगे एलएलबी
- पत्नी की इलाज के दौरान लापरवाही से हुई थी मौत, सुप्रीम कोर्ट में जीते
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
पत्नी की इलाज के दौरान लापरवाही से हुई मौत के मामले में बीस साल तक इंसाफ की लड़ाई लड़कर आखिरकार जीत हासिल की। इस दौरान कानून के सारे दांव-पेंच सीख गए। इस दौरान कानूनी प्रक्रिया का अनुभव बेहतर ढंग से कर लिया। अब 84 वर्ष की उम्र में जोश और जीवटता बरकरार है। कानून का ज्ञान और उसकी डिग्री हासिल करना चाहते हैं। यह हैं नवाबगंज निवासी 84 वर्षीय सीताराम श्रीवास्तव, जो कि वीएसएसवी कालेज से एलएलबी करने जा रहे हैं। उन्हें छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक से अनुमति भी मिल गई है।
सीताराम श्रीवास्तव पीएफ कार्यालय से वर्ष 1995 में इनफोर्समेंट आफिसर के पद से सेवानिवृत हुए हैं। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बड़ा बेटा ललित कुमार श्रीवास्तव डिफेंस में साइंटिफिक आफिसर हैं, जबकि छोटे अशोक की एडवरटाइजिंग एजेंसी है।
सीताराम श्रीवास्तव की पत्नी कृष्णा देवी की वर्ष 1998 में लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनका कहना है कि इलाज में लापरवाही बरतने की बात सामने आई थी।
उन्होंने उपभोक्ता फोरम, स्टेट और नेशनल कमिशन में अपील की। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। आखिर में उन्हें न्याय मिला। वकील और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी भी उनके हौसले और हिम्मत के कायल हो गए।
1960 में डीएवी से किया बीए
सीताराम श्रीवास्तव ने 1960 में डीएवी से बीए किया। 1962 में एमए की परीक्षा पास की। उनके मुताबिक उन्हें शुरू से ही किताबें पढ़ने का शौक रहा। घर में कई तरह की पुस्तकें हैं। आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक से इलाज की पद्धति की किताबें जिसमें सबसे ऊपर रहती हैं। सुबह उठकर योग और थोड़ी दूर तक सैर करना आदत में शुमार है।
नई शिक्षा नीति में उम्र का बंधन नहीं
सीएसजेएमयू के सह मीडिया प्रभारी डा. विवेक सचान ने बताया कि नई शिक्षा नीति में उम्र का कोई बंधन नहीं है। अभी वर्ष 1960 तक के जन्मे लोगों को दाखिला मिल जा रहा है। विशेष मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन निर्णय ले सकता है। सीताराम श्रीवास्तव को भी पढ़ाई के लिए कुलपति ने स्वीकृति दी है। उनका जन्म वर्ष 1937 में हुआ है।
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