दिनांक 06 सितम्बर, दिन : सोमवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शरद
मास : भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - श्रावण)
पक्ष : कृष्ण
तिथि - चतुर्दशी सुबह 07:38 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र - मघा शाम 05:52 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - शिव सुबह 06:55 तक तत्पश्चात सिद्ध
राहुकाल - सुबह 07:57 से सुबह 09:30 तक
सूर्योदय - 06:24
सूर्यास्त - 18:49
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
पंचक
18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
व्रत और त्योहार
एकादशी
17 सितंबर : परिवर्तिनी एकादशी
प्रदोष
18 सितंबर : शनि प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
20 सितंबर : सोमवार भाद्रपद
अमावस्या
07 सितंबर : मंगलवार भाद्रपद अमावस्या
व्रत पर्व विवरण - पिठोरी -दर्श- कुशग्राहिणी अमावस्या, शिव पार्थेश्वर पूजन समाप्त, शिव पूजन समाप्त, सोमवती अमावस्या (सुबह 7:39 से 7 सितंबर सुबह 6:22 तक) अहिल्याबाई होल्कर पुण्यतिथि (ति.अ.) अमावस्या क्षय तिथि
विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण
सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है।
इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है।
इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बनालें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र
1-ॐ कुल देवताभ्यो नमः
2-ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
3-ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
4-ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
5-ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
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