विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शरद
मास : अश्विन
पक्ष : शुक्ल
तिथि - द्वितीया पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र - रेवती पूर्ण रात्रि तक
योग - वृद्धि दोपहर 01:55 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल - दोपहर 12:31 से दोपहर 02:02 तक
सूर्योदय - 06:28
सूर्यास्त - 18:33
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
द्वितीया का श्राद्ध,द्वितीया वृद्धि तिथि
विशेष -
द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
श्राद्ध विशेष
पूर्वजों को पितर पक्ष में इस मंत्र के द्वारा सूर्य भगवान को अर्ध्य देने से यमराज प्रसन्न होकर पूर्वजों को अच्छी जगह भेज देते हैं ।
ॐ धर्मराजाय नमः ।
ॐ महाकालाय नमः ।
ॐ म्रर्त्युमा नमः ।
ॐ दानवैन्द्र नमः ।
ॐ अनन्ताय नमः ।
पितृ पक्ष
धर्म ग्रंथों के अनुसार, विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने में धन की आवश्यकता होती है। पैसा न होने पर विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसे में पितृ दोष होने से कई प्रकार की समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं। पुराणों के अनुसार, ऐसी स्थिति में पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर कुछ साधारण उपाय करने से भी पितर तृप्त हो जाते हैं।
न कर पाएं श्राद्ध तो करें इनमें से कोई 1 उपाय, नहीं होगा पितृ दोष
जजिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि वहां जूठे बर्तन कभी न रखें।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन चावल के आटे के 5 पिंड बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में बहा दें।
गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूगल के साथ घी, जौ, तिल व चावल मिलाकर घर में धूप करें।
विष्णु भगवान के किसी मंदिर में सफेद तिल के साथ कुछ दक्षिणा (रुपए) भी दान करें।
कच्चे दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में बहा दें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा।
श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराएं या सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, सब्जी और दक्षिणा दान करें।
श्राद्ध नहीं कर सकते तो किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
श्राद्ध पक्ष में किसी विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
श्राद्ध पक्ष में पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।
सूर्यदेव को अर्ध्य देकर प्रार्थना करें कि आप मेरे पितरों को श्राद्धयुक्त प्रणाम पहुँचाए और उन्हें तृप्त करें।
20 सितंबर 2021- पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध)
21 सितंबर 2021- प्रतिपदा का श्राद्ध
22 सितंबर 2021- द्वितीया का श्राद्ध
23 सितंबर 2021- तृतीया का श्राद्ध
24 सितंबर 2021- चतुर्थी का श्राद्ध
25 सितंबर 2021 - पंचमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2021 -षष्ठी का श्राद्ध
27 सितंबर 2021 - सप्तमी का श्राद्ध
28 सितंबर 2021- अष्टमी का श्राद्ध
29 सितंबर 2021- नवमी का श्राद्ध
30 सितंबर 2021- दशमी का श्राद्ध
01 अक्टूबर 2021- एकादशी का श्राद्ध
02 अक्टूबर 2021- द्वादशी का श्राद्ध
03 अक्टूबर 2021- त्रयोदशी का श्राद्ध
04 अक्टूबर 2021- चतुर्दशी का श्राद्ध
05 अक्टूबर 2021- सर्वपितृ श्राद्ध
if you have any doubt,pl let me know