Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (21 सितम्बर 2021)

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दिनांक: 21 सितम्बर, दिन : मंगलवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : भाद्रपद


पक्ष : शुक्ल


तिथि - प्रतिपदा 22 सितम्बर प्रातः 05:51 तक तत्पश्चात द्वितीया


नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 22 सितम्बर प्रातः 05:07 तक तत्पश्चात रेवती


 योग - गण्ड दोपहर 02:27 तक तत्पश्चात वृद्धि


 राहुकाल - शाम 03:34 से शाम 05:05 तक


 सूर्योदय - 06:28


 सूर्यास्त - 18:34


दिशाशूल - उत्तर दिशा में


व्रत पर्व विवरण -


प्रतिपदा का श्राद्ध


विशेष - 


प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


श्राद्ध के दिन


जिस दिन आप के घर में श्राद्ध हो उस दिन गीता का सातवें अध्याय का पाठ करें  । पाठ करते समय जल भर के रखें । पाठ पूरा हो तो जल सूर्य भगवन को अर्घ्य दें और कहें की हमारे पितृ के लिए हम अर्पण करते हें। जिनका श्राद्ध है , उनके लिए आज का गीता पाठ अर्पण।


श्राद्ध कर्म 


अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :

"हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता  हूँ ।" ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।


तुलसी


श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है | पद्मपुराण

          

श्राद्ध के लिए विशेष मंत्र


 " ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा । "


इस मंत्र का जप करके हाथ उठाकर सूर्य नारायण को पितृ की तृप्ति एवं सदगति के लिए प्रार्थना  करें । स्वधा ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं । इस मंत्र के जप से पितृ की तृप्ति अवश्य होती है और श्राद्ध में जो त्रुटी रह गई हो वे भी पूर्ण हो जाती है।


श्राद्ध में करने योग्य 


श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश मंत्र " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " की करनी चाहिए और उस माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।

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