बाढ़ व कटान पीड़ितों का दर्द
गाजीपुर से सत्येंद्र राय
गंगा का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। गाजीपुर जिले के सेमरा गांव के ग्रामीणों के घरों के बाहर तक पानी भर गया है। हालत यह है कि लोग घरों के अंदर कैद होकर रह गए हैं। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से लोगों की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं।
हमारे संवाददाता सत्येंद्र ने गाजीपुर जिले के कटान प्रभावित सेमरा गांव जाकर बाढ़ प्रभावितों का हाल जाना। जहां इन दिनों गंगा ने अपना रौद्र रूप अख्तियार किया हुआ है। इस गांव में ना सिर्फ कटान हो रहा है बल्कि सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूब गई है।
गंगा का पानी भर जाने से जिला मुख्यालय से संपर्क भी पूरी तरह से कट चुका है। ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह से ठप है। छतों पर ही लोगों ने डेरा जमा रखा है, खाना-पीना से लेकर सोना तक छत पर ही हो रहा है। बाढ़ का ऐसा रौद्र रूप काफी समय बाद गांव में लोगों को देखने को मिला है। किसी तरह लोग रूखी सूखी खाकर जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
वर्ष 2013 में गंगा के भीषण कटान में अपना पुश्तैनी आशियाना गंवा चुके कटान पीड़ितों के जख्म अभी भरे भी नहीं है कि इस साल फिर गंगा की बाढ़ से पुरानी यादें ताजा कर दी हैं।
गंगा के कटान और बाढ़ का वह मंजर उन्हें आज भी याद है, बाढ़ का जिक्र होते ही उस दौर के हालात बयां करते उनकी जुबान नहीं रुकती है। गांव निवासी अंजनी धनंजय अजय विवेक पिंटू आदि ग्रामीणों का कहना है कि इस बार की बाढ़ में पुरानी यादें ताजा कर दी हैं। वर्ष 2013 में गंगा के कटान में जब उनका पुश्तैनी मकान विलीन हो गया तो उन लोगों ने अपने खेतों में ही ठिकाना बनाया। बड़ी मुश्किल से किसी तरह खेती किसानी करके अभी संभल ही रहे हैं कि इस बार बाढ़ ने पूरी फसल ही चौपट कर दी। अब दोबारा फिर से खेती करना बड़ा मुश्किल हो जाएगा, उनका कहना है कि खेतों में फसलें डूब गई हैं, घरों के चारों तरफ पानी भर गया है, छतों पर किसी तरह जीवन यापन करने को मजबूर हैं। गंगा का जलस्तर कम होने की आस लगाए बैठे हैं कि कब पानी कम होगा और खेतों में से पानी हटेगा।
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