पवनपुत्र हनुमान के नाम पर लंबे समय से बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। कहते हैं मंगल को जन्में मंगल ही करते अमंगल को हरते ऐसे ही हैं भगवान हनुमान। भारत में और देश के बाहर सनातन धर्म को मानने वाले लोग बुढ़वा मंगल को धूमधाम से मनाते हैं।
बुढ़वा मंगल का महात्म्य
महाभारत काल में दस हजार हाथियों का बल रखने वाले कुंति पुत्र भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड था। उनको सबक सिखाने और घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार भगवान हनुमान ने एक बूढ़े बंदर का भेष धरा था। एक बार भीम कहीं जा रहे थे तो बंदल रूपी हनुमान जी बीच रास्ते पर लेट गए। वो वक्त भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष का आखिरी मंगलवार था। जैसे ही कुंति पुत्र भीम उस रास्ते से निकले उन्हें रास्ते पर बंदर लेटा दिखा।
नहीं उठा पाए वानर की पूंछ
अहम में आकर भीम ने बूढ़े वानर को तिरस्कार की भावना से कहा अपनी पूंछ हटाओ। इस पर वानर के रूप में अंजनी पुत्र हनुमान बोले तुम दस हजार हाथियों का बल रखते हो, खुद ही इस पूंछ को हटा लो। क्रोध में आकर भीम आगे बढ़े और उन्होंने पूंछ उठाने की कोशिश की पर वो उसे हिला तक नहीं पाए। पूंछ हटाने में विफल भीम ने वासुदेव को याद किया। वासुदेव से भीम को पता लगा कि यह कोई मामूली वानर नहीं, बल्कि महा शक्तिशाली हनुमान जी हैं। भीम ने अपने किए पर पछतावा करते हुए उन्हें क्षमा मांगी। तब से उस दिन को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जाने लगा।
अगर आपके किसी भी काम में रुकावट आ रही है तो इस दिन हनुमान मंदिर जाकर गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाएं। इसके साथ ही प्रसाद को मंदिर में बांट दें। फिर इस मंत्र का जाप करें :-
आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर
त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात
आप इन हनुमान मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
🙏🏻 ॐ हनु हनुमते नमः 🙏🏻
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