श्रीकृष्ण की परीक्षा, ब्रह्माजी द्वारा

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प्रारब्ध न्यूज़- अध्यात्म

भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला बड़ी अद्भुत और मनमोहक थी। वह अपनी लीलाओं से सभी का मन मोह लेते थे। एक बार जगतपिता ब्रह्ममजी ने बालक कृष्ण की परीक्षा लेने का विचार किया। उन्होंने सोचा बाल कृष्ण को इतने संकट में डाल दें कि भगवान विष्णु के इस अवतार को उनके पास सहायता के लिए आना पड़ेे।

वास्तव में यह ब्रह्मा जी का अहंकार था। बालक  कृष्ण का जन्म तो सबके अहंकार को समाप्त करने के लिए हुआ था।
 
ब्रह्मा जी ने अपनी योजना के अनुसार उस समय की प्रतीक्षा की, जब बालक कृष्ण अपने बाल ग्वालों के साथ बन में गाय चराने जाते थे। दोपहर में खेल कर थकने के बाद जब सभी खेलकर थकने के बाद सभी विश्राम कर रहे थे, उन्होंने अपनी शक्ति से सभी बाल- ग्वालों और गायों को सम्मोहन निद्रा में डाल कर उठा लिया और स्वर्ग में छुपा दिया।

ब्रह्मा जी यह देखना चाह रहे थे कि श्री कृष्ण को अपने मित्रों से कितना मोह है या सब झूठ है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों को कभी परेशान नहीं देख सकते।ब्रह्मा जी ने खेल तो बालक के साथ खेला था, लेकिन उनको यह ध्यान नहीं रहा कि श्री कृष्ण तो सब जानते हैं। जो सृष्टि को चलाते है वह नहीं समझेगें कि कहां क्या, हो रहा है। उन्हें सिर्फ अपने परीक्षा का परिणाम देखना था।

श्रीकृष्ण ब्रह्मा का रचा खेल तो समझ रहे थे, इसलिए मित्रो की चिंता नहीं थी। वे तो ब्रह्मा जी के खेल का आनंद ले रहे थे। उनके मन में डर था कि जब इनके माता पिता को पता चलेगा कि खेलते खेलते पुत्र गायब हो गए तो वह बहुत दुखी हो जाएंगें।

संध्या काल में जब घर जाने का समय हुआ, तो श्री कृष्ण ने अपनी लीला से हर एक बाल गोपाल और गाय का रूप धारण किया और सब घरों में पहुंच गए। किसी को पता ही ना हुआ कि आज उनके घर में उनकी संतान नहीं, बल्कि स्वयं भगवान पधारे हैं। यह अवश्य हुआ कि वृंदावन की हर माता ने उस दिन अद्भुत ममता का अनुभव किया।

इस तरह श्री कृष्ण ने अपनी दिव्यता से ब्रह्मा जी का अहंकार तोड़ दिया। उधर वृंदावन की समस्त माताओं को कभी समझ ना आया कि पिछले एक सप्ताह से उनकी संतानों में ऐसा क्या सम्मोहन पैदा हुआ था कि वे पल भर भी उनकी छवि मन से ना हटा पा रही थीं। आखिर बाल कृष्ण की लीला को कौन समझ सका है? भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तो की बात हमेशा सुनते हैं। श्रीकृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बनाते हैं।

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