- दिल्ली-जयपुर के बीच इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की विदेशी कंपनी से चल रही बात
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, नई दिल्ली
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि उन्होंने मंत्री के रूप में देश में पेट्रोल और डीजल के उपयोग को खत्म करने का संकल्प लिया है। इसलिए अब विकल्प की तरफ कदम उठाए जा रहे हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-जयपुर हाईवे को इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने का निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय दिल्ली से जयपुर तक इलेक्ट्रिक हाइवे के निर्माण के लिए एक विदेशी कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है। गडकरी ने राजस्थान के दौसा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (डीएमई) की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक रेलवे इंजन की तरह बसों और ट्रकों को भी बिजली से चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली से जयपुर तक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाना मेरा सपना है। यह अभी भी एक प्रस्तावित परियोजना है। हम एक विदेशी कंपनी के साथ चर्चा कर रहे हैं। गडकरी ने कहा कि एक परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने देश में पेट्रोल और डीजल के उपयोग को खत्म करने का संकल्प लिया है।
गडकरी ने गुरुवार को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा की, जिसके चालू होने पर सड़क मार्ग से राष्ट्रीय राजधानी और वित्तीय केंद्र के बीच का सफर 24 घंटे की जगह 12 घंटे में पूरा होने की उम्मीद है। आठ लेन का यह एक्सप्रेसवे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर गुजरेगा।
4,000 मेगावाट घंटा क्षमता की बैटरी भंडारण परियोजनाओं के लिए की जाएगी बोली आमंत्रित
बिजली मंत्री आर के सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत जल्दी ही कुल 4,000 मेगावाट घंटा क्षमता की बैटरी भंडारण परियोजनाओं के लिए वैश्विक स्तर पर बोली आमंत्रित करेगा। विद्युत मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सिंह ने अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच और उद्योग प्रमुखों की वर्चुअल ऊर्जा उद्योग गोलमेज बैठक को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि 12,000 मेगावाट घंटा क्षमता की बैटरी परियोजना लद्दाख में स्थापित की जाएगी।
बयान में सिंह के हवाले से कहा गया है कि निकट भविष्य में भारत बैटरी भंडारण प्रणाली स्थापित करने को लेकर वैश्विक और घरेलू विनिर्माताओं से बोली आमंत्रित करेगा, जल्द ही 4,000 मेगावाट घंटा क्षमता की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के लिए बोली आमंत्रित की जाएगी। भारत ने वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2030 तक 4,50,000 मेगावाट क्षमता हासिल करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है।
बयान के मुताबिक वर्तमान में भारत के पास 1,00,000 मेगावाट की स्थापित सौर और पवन ऊर्जा क्षमता है और इसमें यदि जलविद्युत क्षमता को भी जोड़ दिया जाए तो कुल स्थापित क्षमता 1,46,000 मेगावाट तक पहुंच जाती है। सिंह ने कहा कि इसके साथ ही 63,000 मेगावाट की अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
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