दिनांक 28 अगस्त, शनिवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - श्रावण)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - षष्ठी रात्रि 08:56 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र - भरणी 29 अगस्त प्रातः 03:35 तक तत्पश्चात कृत्तिका
योग - ध्रुव पूर्ण रात्रि तक
राहुकाल - सुबह 09:30 से सुबह 11:05
सूर्योदय - 06:21
सूर्यास्त - 06:58
दिशाशूल - पूर्व दिशा
व्रत और पर्व
एकादशी
03 सितंबर : अजा एकादशी
17 सितंबर : परिवर्तिनी एकादशी
प्रदोष
04 सितंबर : शनि प्रदोष
18 सितंबर : शनि प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
20 सितंबर : भाद्रपद पूर्णिमा
अमावस्या
07 सितंबर : भाद्रपद अमावस्या
पंचक
18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
व्रत पर्व विवरण -
रांधण-हल षष्ठी
विशेष -
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय
29 अगस्त 2021 रविवार को (सूर्योदय से रात्रि 11:26 तक) रविवारी सप्तमी है।
रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-
"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"
नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।
(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याया (10)
रविवार सप्तमी
रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |
रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |
सूर्य भगवान पूजन विधि
1- सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |
2- जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |
सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र
1. ॐ मित्राय नमः।
2. ॐ रवये नमः।
3. ॐ सूर्याय नमः।
4. ॐ भानवे नमः।
5. ॐ खगाय नमः।
6. ॐ पूष्णे नमः।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
8. ॐ मरीचये नमः।
9. ॐ आदित्याय नमः।
10. ॐ सवित्रे नमः।
11. ॐ अर्काय नमः।
12. ॐ भास्कराय नमः।
13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।
कृष्ण नाम के उच्चारण का फल
विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते
विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
मेष से मीन राशि तक जानें जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का उपाय
जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन राशि के अनुसार जानें, भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का तरीका-
पंचांग के अनुसार 30 अगस्त 2021, सोमवार को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी का पर्व भारत में बड़ी ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है.
जन्माष्टमी के पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा और उपासना की जाती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से भी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस दिन राशि के अनुसार कैसे भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न कर सकते हैं।
मेष राशि- जन्माष्टमी के पर्व पर मेष राशि वाले जातक भगवान श्रीकृष्ण को दूध और बादाम का भोग लगाएं. इससे जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलेगी.
वृषभ राशि- जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को मिश्री का भोग लगाने की परंपरा है. भगवान श्रीकृष्ण को मिश्री प्रिय है. इस दिन वृषभ राशि वाले मिश्री के साथ पंजीरी का भोग लगाएं।
मिथुन राशि- जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए श्रीगोपाल सहस्रनाम का पाठ करें।
कर्क राशि- सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें और राधाष्टक का पाठ करें. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है।
सिंह राशि- राशि चक्र के अनुसार सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं. सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है. जन्माष्टमी पर आपके लिए विष्णुसहस्रनाम पाठ करना उत्तम रहेगा।
कन्या राशि- ओम देवकीनंदनाय नम:, नाम के मंत्र का एक माला जाप करें।
तुला राशि- तुलसी और दही का भोग लगाएं तथा ओम लीलाधराय नम:, इस मंत्र का जाप करें।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि में केतु का गोचर बना हुआ है. जीवन में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को शहद का भोग लगाएं.
धनु राशि- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:, मंत्र का जाप करने से लाभ मिलेगा.
मकर राशि- जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करें और पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें.
कुंभ राशि- भगवान को पीले पुष्प अर्पित करें और ओम नमो कृष्ण वल्लभाय नम: नाम के मंत्र का जाप करें.
मीन राशि- जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें और इस मंत्र का जाप करें- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:.
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