त्रिदेवों में देव महादेव अनादि हैं सम्पूर्ण ब्रह्मांड उनके अंदर समाहित है।भगवान शिव अपने में कई रहस्य समटे हुए हैं। जैसे ब्रह्माण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही इसका आरंभ, ठीक इस प्रकार शिव जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे।
हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव के पाँच प्रमुख रहस्य हैं-
गले में लिपटा सांप-
शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। भगवान शिव के गले में लिपटे रहने वाले नाग, नागराज वासुकी हैं। वासुकी नाग, ऋषि कश्यप के दूसरे पुत्र थे। इन्हें शिव का परम भक्त माना जाता है।
मस्तक पर चंद्रमा-
शिव के मस्तक पर चंद्रमा के होने की कथा भी बड़ी अनूठी है। कहा जाता है कि महाराज दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दिया था जिससे बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधान की। चंद्रमा की भक्ति से प्रसन्न होकर न सिर्फ चंद्रमा की रक्षा की बल्कि उन्हें सिर पर धारण कर लिया।
आभूषण नहीं भस्म-
भगवान शिव अन्य देवताओँ की तरह अपने शरीर पर आभूषण धारण नहीं करते बल्कि वह अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शिव का अभिषेक भी भस्म से ही होता है। शिव संसार के आकर्षणों से परे हैं। मोह-माया उनके लिए भस्म के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
तीसरा नेत्र-
देवों के देव महादेव के पास दो नहीं बल्कि तीन आंखें हैं। मान्यता के अनुसार, वह अपनी तीसरी आंख का प्रयोग तब करते हैं, जब सृस्टि का विनाश करना हो। यह रहस्य कम लोग जानते हैं कि शिव को तीसरी आंख कैसे मिली।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार हिमालय पर भगवान शिव एक सभा कर रहे थे। जिसमें सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन शामिल थे। तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए अपने दोनों हाथों से भगवान शिव की दोनों आंखों को ढक दिया। माता पार्वती ने जैसे ही भगवान शिव की आंखों को ढका। संसार में अंधेरा छा गया। इसके बाद धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में खलबली मच गई। संसार की ये दशा भगवान शिव से देखी नहीं गई और उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया, जो भगवान शिव की तीसरी आंख बनी।
तांडव नृत्य-
तांडव नृत्य को लेकर अधिकतर लोग पूरा रहस्य नहीं जानते हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि तांडव नृत्य शिव के क्रोध से जुड़ा है जो कि सही है। रौद्र तांडव करने वाले शिव रूद्र कहे जाते हैं। लेकिन शिव का एक तांडव नृत्य आनंद प्रदान करने वाला भी है। इसे आनंद तांडव कहते हैं। आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज कहे जाते हैं।
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