प्रारब्ध न्यूज़- अध्यात्म
श्रीरामचरितमानस मैं लिखित उल्लेख के अनुसार ऐसा कहा जाता है की भगवान राम लला का प्राकट्योत्ससव हुआ था।
उस समय अयोध्या में तैतीस कोटी देवता आए थे, और इन सभी का मार्ग प्रशस्त करते हुए भगवान सूर्य सबसे आगे प्रकाश फैलाते हुए चल रहे थे। उस समय तीस दिनों तक अयोध्या में अंधेरा नहीं हुआ था और चारों ओर प्रकाश फैला रहा। इसके चलते तीस दिनों तक अयोध्या में रात्रि नहीं हुई थी। इसके चलते अयोध्या में अंधेरा नहीं हुआ और प्रकाशवान रही। सभी देवी- देवता, भगवान श्री राम के प्राकट्यउत्सव में शामिल रहे।
जिस स्थान पर भगवान सूर्य का रथ रुका हुआ था, उसी स्थान (दर्शननगर) में आज, सूर्य का पौराणिक मंदिर स्थापित है।
सूर्य कुंड के पुजारी महंत धनुषधारी महाराज बताते हैं कि त्रेता युग में तीस दिनों तक भगवान सूर्य का रथ जिस स्थान पर रूका रहा था, उसी स्थान पर राजा दर्शन सिंह ने प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर का और सरोवर का निर्माण करवाया था।
कहा जाता है कि अयोध्या के राजा दर्शन सिंह शिकार खेलने के लिए इस क्षेत्र में आए।उनको प्यास लगी तो सेवक द्वारा इस सरोवर का पानी लाकर दिया और पानी पीने के बाद उनका चर्मरोग दूर हो गया था। इसी स्थान पर सात दिनो तक पूजा- अर्चना की।इस पर राजा को आकाशवाणी हुई और फिर इस स्थान पर खुदाई करवाई।जिसमें बारह घोड़ों पर सवार सूर्य भगवान् की प्रतिमा,शिवलिंग और ढेर सारा धन प्राप्त हुआ।इस धन से मंदिर और सरोवर का निर्माण कराया।
आज भी उसी स्थान पर प्रतिवर्ष सूर्य जयंती के अवसर पर विशाल रैली का आयोजन किया जाता है।
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