विक्रम संवत : 2078 (गुजरात : 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : वर्षा
मास : आषाढ़
पक्ष : शुक्ल
तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:32 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र - मूल शाम 04:25 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग - इन्द्र दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल - दोपहर 02:24 से शाम 04:03 तक
सूर्योदय : प्रातः 05:37 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:18 बजे
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व
देवशयनी एकादशी, चातुर्मास व्रतारम्भ, पंढरपुर यात्रा
व्रत पर्व विवरण
एकादशी
20 जुलाई : देवशयनी, हरिशयनी एकादशी
प्रदोष
21 जुलाई : प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
23 जुलाई : आषाढ़ पूर्णिमा
22 अगस्त : श्रावण पूर्णिमा
अमावस्या
हरियाली अमावस्या 07 अगस्त 7:11 बजे से 08 अगस्त 7:20 बजे तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष -
त्रयोदशी को बैंगन खाना मना है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अद्भूत विद्वत्ता प्राप्ति योग
विद्यालाभ के लिए मंत्र
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिव्हाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नम: स्वाहा |’
यह मंत्र 23 जुलाई 2021 दोपहर 02:26 से रात्रि 11:45 बजे के वीच 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि 11 से 12 के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें |
जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अदभुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
गुरु का मानस-पूजन कैसे करें गुरु पूर्णिमा को
गुरुपूनम की सुबह उठें । नहा-धोकर थोडा-बहुत धूप, प्राणायाम आदि करके श्रीगुरुगीता का पाठ कर लें ।
फिर इस प्रकार मानसिक पूजन करें-
‘मेरे गुरुदेव ! मन-ही-मन, मानसिक रूप से मैं आपको सप्ततीर्थों के जल से स्नान करा रहा हूँ । मेरे नाथ ! स्वच्छ वस्त्रों से आपका चिन्मय वपु (चिन्मय शरीर) पोंछ रहा हूँ । शुद्ध वस्त्र पहनाकर मैं आपको मन से ही तिलक करता हूँ, स्वीकार कीजिये । मोगरा और गुलाब के पुष्पों की दो मालाएँ आपके वक्षस्थल में सुशोभित करता हूँ ।
आपने तो हृदयकमल विकसित करके उसकी सुवास हमारे हृदय तक पहुँचायी है लेकिन हम यह पुष्पों की सुवास आपके पावन तन तक पहुँचाते हैं, वह भी मनसे, इसे स्वीकार कीजिये । साष्टांग दंडवत् प्रणाम करके हमारा अहं आपके श्रीचरणों में धरते हैं ।
हे मेरे गुरुदेव ! आज से मेरी देह, मेरा मन, मेरा जीवन मैं आपके दैवी कार्य के निमित्त पूरा नहीं तो हररोज २ घंटा, ५ घंटा अर्पण करता हूँ, आप स्वीकार करना । भक्ति, निष्ठा और अपनी अनुभूति का दान देनेवाले देव ! बिना माँगे कोहिनूर का भी कोहिनूर आत्मप्रकाश देनेवाले हे मेरे परम हितैषी ! आपकी जय-जयकार हो ।’
इस प्रकार पूजन तब तक बार-बार करते रहें जब तक आपका पूजन गुरु तक, परमात्मा तक नहीं पहुँचे । और पूजन पहुँचने का एहसास होगा, अष्टसात्त्विक भावों (स्तम्भ १ , स्वेद २ , रोमांच, स्वरभंग, कम्प, वैवण्र्य ३ , अश्रु, प्रलय ४ ) में से कोई-न-कोई भाव भगवत्कृपा, गुरुकृपा से आपके हृदय में प्रकट होगा ।
इस प्रकार गुरुपूर्णिमा का फायदा लेने की मैं आपको सलाह देता हूँ । इसका आपको विशेष लाभ होगा, अनंत गुना लाभ होगा ।
पंचक
पंचक आरम्भ
25 जुलाई, रविवार को रात 10:48 बजे
पंचक अंत
30 जुलाई 30, शुक्रवार को रात 02:03 बजे तक
एकादशी
जुलाई 30, 2021, शुक्रवार को 02:03 शाम
एकादशी
20 जुलाई- देवशयनी, हरिशयनी एकादशी
प्रदोष
21 जुलाई: प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत जुलाई 23, शुक्रवार
श्रावण पूर्णिमा 22 अगस्त, रविवार
अमावस्या
अगस्त 2021 में अमावस्या तिथि (हरियाली अमावस्या) 07 अगस्त 7:11 बजे - 08 अगस्त 7:20 बजे
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