Prarabdh Today's Panchang : आज का पंचांग एवं व्रत-त्योहार (09 जुलाई 2021)

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09 जुलाई 2021, शुक्रवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात- 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : वर्षा


मास : आषाढ़ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार-ज्येष्ठ)


पक्ष : कृष्ण


तिथि :   अमावस्या पूर्ण रात्रि तक 


नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 11:14 तक तत्पश्चात पुनर्वसु


योग - ध्रुव शाम 04:46 तक तत्पश्चात व्याघात


राहुकाल - सुबह 11:04 से दोपहर 12:44 तक


सूर्योदय : प्रात: 06:04 बजे


सूर्यास्त : संध्या 19:23 बजे


दिशाशूल - पश्चिम दिशा में


व्रत पर्व विवरण -


दर्श अमावस्या, अमावस्या वृद्धि तिथि


 विशेष -


अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)


पंचक

               

पंचक आरम्भ


जुलाई 25, रविवार रात 10:48 बजे


पंचक अंत


जुलाई 30, शुक्रवार दोपहर 02:03 बजे


एकादशी


20 जुलाई : देवशयनी, हरिशयनी एकादशी


प्रदोष


21 जुलाई : प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


23 जुलाई : आषाढ़ पूर्णिमा व्रत


22 अगस्त : श्रावण पूर्णिमा


अमावस्या


अमावस्या तिथि : 09 जुलाई, सुबह 5:17 बजे से 10 जुलाई, 6:46 बजे


हरियाली अमावस्या : 07 अगस्त 7:11 बजे से 08 अगस्त 7:20 बजे




नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए


09 जुलाई 2021 को प्रातः 05:17 से 10 जुलाई को सुबह 06:46 तक अमावस्या है।


घर में हर अमावस अथवा हर 15 दिन में पानी में खड़ा नमक (1 लीटर पानी में 50 ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें। इससे निगेटिव एनेर्जी चली जाएगी। खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं।

      

अमावस्या


अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है  (विष्णु पुराण)

          

धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए


हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।


सामग्री

1. काले तिल, 2. जौं, 3. चावल, 4. गाय का घी, 5. चंदन पाउडर, 6. गूगल, 7. गुड़, 8. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।


विधि : गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त 8 वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की 1-1 आहुति दें।

आहुति मंत्र

1. ॐ कुल देवताभ्यो नमः

2. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः

3. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः

4. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः

5. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः


घर में ग्रह कलेश रहता हो; किसी कि बुरी नजर या टोने टोटके का अंदेशा हो तो अमावस्या के दिन से रोज़ घर में पानी मे खड़ा नमक फिटकरी कपूर और गौमूत्र (गोझरण) मिला के पोछा लगाइए । सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी।


गुप्त नवरात्रि


हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके अलावा आषाढ़ तथा माघ मास में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (11 जुलाई, रविवार) से होगा, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी (18 जुलाई, रविवार) को समाप्त होगी।


शत्रु को मित्र बनाने के लिए-


नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है।


नवरात्रि में स्नानादि से निवृत हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र 'हूं' अथवा 'अं रां अं' मंत्र की इक्कीस माला जप करे एवं 'श्री गुरुगीता' का पाठ करें  तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l


माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग- 1


जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें।


“ अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले "


भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l


माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग- 2


शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें l (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं, नमक मिर्च का भोजन अगले दिन ही करें l)


 " ॐ ह्रीं गौरये नमः "

 

मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुम -कुम का तिलक करें l


गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ और रोटी खिलाएं l


श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु


प्रयोग - नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है मंत्र ध्यान से पढ़ें -

" ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् "


विद्यार्थियों के लिए-


प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें।


इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l


बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें ।

जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें। अतः इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें l

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