विक्रम संवत : 2078 (गुजरात- 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : वर्षा
मास : आषाढ़ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार-ज्येष्ठ)
पक्ष : कृष्ण
तिथि : चतुर्दशी 09 जुलाई प्रातः 05:17 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र : मॄगशिरा रात्रि 08:58 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग : वृद्धि शाम 04:20 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल : दोपहर 02:24 बजे से शाम 04:04 बजे तक
सूर्योदय : प्रात: 06:04 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:23 बजे
दिशाशूल : दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण
मासिक शिवरात्रि, चतुर्दशी आर्द्रा नक्षत्र योग (रात्रि 08:59 से 09 जुलाई प्रातः 05:17 बजे तक) (ॐकार जप अक्षय फलदायी)
विशेष
चतुर्दशी और अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
पंचक
पंचक आरम्भ
जुलाई 25, रविवार रात 10:48 बजे
पंचक अंत
जुलाई 30, शुक्रवार दोपहर 02:03 बजे
एकादशी
5 जुलाई : योगिनी एकादशी
20 जुलाई : देवशयनी, हरिशयनी एकादशी
प्रदोष
07 जुलाई : प्रदोष व्रत
21 जुलाई : प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
23 जुलाई : आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
22 अगस्त : श्रावण पूर्णिमा
अमावस्या
अमावस्या तिथि : 09 जुलाई, सुबह 5:17 बजे से 10 जुलाई, 6:46 बजे
हरियाली अमावस्या : 07 अगस्त 7:11 बजे से 08 अगस्त 7:20 बजे
गुरुवार को केले के पेड़ की जड़ में एक रुपये या पांच रुपये का सिक्का दबा दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है। इससे आपको कभी धन की कमी से जूझना नहीं पड़ता है।
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
09 जुलाई 2021 को प्रातः 05:17 से 10 जुलाई को सुबह 06:46 तक अमावस्या है।
घर में हर अमावस अथवा हर 15 दिन में पानी में खड़ा नमक (1 लीटर पानी में 50 ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें। इससे निगेटिव एनेर्जी चली जाएगी। खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री
1. काले तिल, 2. जौं, 3. चावल, 4. गाय का घी, 5. चंदन पाउडर, 6. गूगल, 7. गुड़, 8. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि : गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त 8 वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की 1-1 आहुति दें।
आहुति मंत्र
1. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
2. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
3. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
4. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
5. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
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