Kanpur CMO'S Order : कानपुर में मानक दरकिनार कर नर्सिंग होम का पंजीकरण करने वाले एसीएमओ को फिर कमान

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  • कोरोना नियंत्रण के लिए आए सीएमओ ने शुरू की मनमानी, उच्चाधिकारियों के आदेशों की कर रहे अवहेलना
  • कल्याणपुर सीएचसी के लंबे समय तक अधीक्षक रहे एसीएमओ ने नर्सिंग होम के पंजीकरण में खूब मनमानी की



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कृत संकल्प है। वहीं, उनके अधिकारी ही उनकी शाख में बट्टा लगाने में आमदा है। कोरोना की पहली लहर के दौरान एसीएमओ डाॅ. सुबोध प्रकाश को नर्सिंग होम के पंजीकरण, झाेलाछाप के नोडल अफसर से अपर मुख्य सचिव के आदेश पर हटाया गया था। उनके खिलाफ नर्सिंग होम से उगाही, पंजीकरण में मनमानी की शिकायतें भी थी। तत्कालीन सीएमओ डाॅ. अनिल मिश्रा को कई शिकायतें भी मिली जो जांच में सही पाई गई थी।


सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह की ओर से 5 जुलाई को जारी आदेश में एसीएमओ डाॅ. सुबोध प्रकाश को नोडल अफसर बनाया गया है। लाल घेरे में आदेश की तिथि एवं एसीएमओ का नाम।



उसके बावजूद नए सीएमओ डाॅ. नेपाल सिंह ने उन्हें फिर से 
नर्सिंग होम, निजी अस्पताल, झोलाछाप के पटल का नोडल अफसर बना दिया है।


तत्कालीन सीएमओ डाॅ. अनिल मिश्रा का आदेश, जो अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर जारी किया गया था। लाल घेरे में एसीएमओ डाॅ. सुबोध प्रकाश का नाम।

एसीएमओ डाॅ. सुबोध प्रकाश लंबे समय तक कल्याणपुर सीएचसी के चिकित्सका अधीक्षक रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कल्याणपुर सीएचसी क्षेत्र में मानक दरकिनार करते हुए नर्सिंग होम के पंजीकरण में जमकर मनमानी एवं उगाही की गई। फर्जी पैनल बनाकर नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन किया गया। सरकार वार्ड ब्वाय, सफाई कर्मचारियों और एएनएम के नाम पर नर्सिंग होम का पंजकीकरण किया गया। नर्सिंग होम के लिए बनाए गए डॉक्टरों का पैनल लगभग एक ही है। एक-एक डॉक्टर को 20-20 नर्सिंग होम के पैनल में दिखाया गया है। इसकी शिकायत मिलने पर तत्कालीन सीएमओ ने जांच कराई थी, जिसमें गड़बड़ी पकड़ी गई। संचालकों के खिलाफ एफआइआर तक कराई गई। शासन तक पहुंच के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। इस संबंध में न सीएमओ डाॅ. नेपाल सिंह और न ही अपर निदेशक डाॅ. जीके मिश्रा कुछ बोलने को तैयार हैं। कहते हैं कि नियमानुसार कार्य हो रहा है। शासन के आदेश का जिक्र होते ही चुप्पी साध जाते हैं।



बचा रहा निदेशालय में तैनात बैचमेट


सूत्रों की मानें तो डाॅ. सुबोध प्रकाश लगातार मनमानी करने पर रहे हैं। उनकी मनमानी को देखते हुए तत्काली अपर निदेशक डाॅ. आरपी यादव ने उन्हें कांशीराम संयुक्त अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ तैनाती का आदेश दिया था, लेकिन उनके आदेश का अनुपालन ही नहीं किया। लखनऊ में महानिदेशालय में तैनात उनके साथ किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़े डाक्टर ने बचा लिया। उनकी पैरवी की वजह से ही उन्हें बाद में कमान संभालने वाले अपर निदेशक डाॅ. जीके मिश्रा ने वापस कर दिया।


शासन ने दो-दो प्रभार के लिए किया था मना


जिला सर्विलासं अफिसर का चार्ज संभाल रहे डाॅ. सुबोध प्रकाश यादव को दूसरा कोई भी चार्ज नहीं देने का आदेश शासन ने दिया था। ताकि कोरोना से जुड़े कार्यों में कोई बाधा न आने पाए। इस आदेश को दरकिनार करते हुए सीएमओ ने डाॅ. सुबोध को कमान पकड़ा दी।


रिटायर होने से पहले की तैयारी


सूत्रों का कहना है कि नए सीएमओ डाॅ. नेपाल सिंह वर्ष 2022 में सेवानिवृत होने वाले हैं। उन्हें नोयडा से यहां भेजा गया है। ऐसे में रिटायर होने से पहले की तैयारी में अभी से जुट गए हैं। इसलिए मलाईदार पटल बांटकर अधिक से अधिक सुविधा शुल्क जुटाने की तैयारी कर रहे हैं।


आनलाइन व्यवस्था, फिर भी रिन्यूवल लंबित 


शासन ने नर्सिंग होम, निजी क्लीनिक, पैथालाजी एवं रेडियोडायग्नोस्टिक सेंटरों का पंजीकरण एवं रिन्यूवल आनलाइन कर दिया है। उसके बादजूद सीएमओ, एसीएमओ की सह पर इस पटल पर तैनात लिपिक दीप मेहरोत्रा लंबित किए हुए है। ऐसे में बिना रिन्यूवल के चल रहे नर्सिंग होम एवं निजी क्लीनिक, पैथालाजी एवं डायग्नोस्टिक सेंटर से मोटा सुविधा शुल्क हर माह वसूला जा रहा है।

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