आएं जानें उत्तर प्रदेश के किन चेहरों को मोदी सरकार में मिली जगह, उनकी क्या है खासियत

0

अरुण कुमार 'टीटू', लखनऊ


उत्तर प्रदेश के सात सांसद जो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में जगह पाने में कामयाब हुए हैं। उन सभी चेहरों की खासियत और उन्हें क्यों मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। उनके माध्यम से सरकार ने किस समुदाय को साधने का प्रयास किया गया है। आएं जानें उन सभी सात नए मंत्रियों की खासियत।



अनुप्रिया पटेल के माध्यम से यूपी के कुर्मी वोट को साधने का प्रयास


अनुप्रिया पटेल अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मिर्जापुर से सांसद हैं। अनुप्रिया की कुर्मी समाज के बीच मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसी वजह से वह मिर्जापुर से लगातार दूसरी बार चुनी गईं। पहली बार अनुप्रिया पटेल वर्ष 2014 में मिर्जापुर से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंची थी। उन्हें पहले मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। प्रदेश में 9-10 प्रतिशत वोट कुर्मी समुदाय का है। इस वजह से भाजपा ने यूपी में पार्टी की बागडोर भी कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी है।


ब्राह्मण वोट पर अजय मिश्रा से साधा निशाना



खीरी के सांसद अजय मिश्र टेनी को 17वीं लोकसभा के संसद रत्न के लिए वर्ष 2020 में चुना गया गया था। वर्ष 2010 से शुरू होने वाले इस अवार्ड को पाने वाले वह यूपी के पहले सांसद हैं। अजय मिश्र टेनी लगातार दो बार खीरी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके साथ ही पूरे देश से विभिन्न राजनैतिक दलों के 23 सांसदों का चयन इस अवार्ड के लिए किया गया था। अजय मिश्र लोक लेखा समिति के सदस्य हैं। अजय के माध्यम से मोदी सरकार ने यूपी में ब्राह्मण वोट पर निशाना साधा है।


संतोष गंगवार गए तो बीएल वर्मा आए



बदायूं के बीएल वर्मा को राज्यसभा सदस्य बनाने के बाद केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। अभी तक यूपी कंस्ट्रक्शन एवं डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बीएल वर्मा को संतोष गंगवार की जगह कैबिनेट में शामिल गया है। पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाकर रुहेलखंड के साथ आगरा मंडल को साधने का प्रयास किया है। इनके जरिए लोधी वोट को जाेड़ने की कोशिश की गई है। बीएल वर्मा लोधी समाज के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी भी हैं।


बनवारी लाल वर्मा यानी बीएल वर्मा बरेली के उझानी ब्लाक के ज्योरा पारवाला गांव के हैं। उन्होंने राजनीतिक सफर वर्ष 1980 में संघ के खंड कार्यवाह व तहसील प्रमुख के रूप में शुरू किया था। वर्ष 1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला महामंत्री, वर्ष 1997 में भाजयुमो के प्रदेश मंत्री बने। वर्ष 2003 से 2007 तक दो बार भाजपा के प्रदेश मंत्री रहे। 


वर्ष 2011 में कल्याण सिंह ने जब भाजपा छोड़कर जन क्रांति पार्टी बनाई थी तब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान थमाई गई थी। कल्याण सिंह के साथ ही भाजपा में वापसी करने के बाद इन्हें ब्रज क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया गया।


पांच बार के सांसद भानु बने केंद्रीय मंत्री



सांसद भानु प्रताप वर्मा यूपी के जालौन-गरौठा-भोगनीपुर लोकसभा क्षेत्र से पांच बार संसद पहुंचे हैं। उन्हें भी इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है। भानु प्रताप वर्मा ने एमए, एलएलबी तक शिक्षा ग्रहण की है। भानु प्रताप वर्मा ने अपना राजनैतिक सफर नगर पालिका के सभासद के रूप में शुरू किया था। उसके बाद वर्ष 1992-93 में पहली बार वह कोंच सुरक्षित सीट से विधायक चुने गए।


वर्ष 1996 में पहली बार जालौन गरौठा सुरक्षित लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था, तो जीत हासिल की। वर्ष 1998 में दोबारा चुनकर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2004 में जालौन से फिर सांसद बने। वर्ष 2009 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा। हालांकि वर्ष 2014 में मोदी लहर में चौथी बार सांसद पहुंचे और वर्ष 2019 में पांचवी बार जीते। भानु प्रताप वर्मा कोंच के मालवीय नगर के रहने वाले हैं।

वह अनुसूचित जाति से हैं। भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।


प्रोफेसर बघेल की अपनी बिरादरी में अच्छी पकड़



उत्तर प्रदेश के आगरा से प्रो. एसपी सिंह बघेल सांसद हैं। उनकी एससी कैटेगिरी पर अच्छी पकड़ है। बघेल शुरूआत में दरोगा थे। नारायण दत्त तिवारी और मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। बघेल नारायण दत्त तिवारी और मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा गार्ड भी रहे हैं।


वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव ने बघेल को जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ाकर सांसद पहुंचाया था। उसके बाद वह दो बार सांसद चुने गए। पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से सांसद रहे। बघेल ने वर्ष 2017 में आगरा के पास टूंडला विधानसभा से चुनाव जीता और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। वर्ष 2019 में बीजेपी ने बघेल को आगरा से लोकसभा का टिकट दिया और वह जीत गए। एसपी सिंह बघेल का परिवार उत्तर प्रदेश के औरैया जिले का रहने वाला है। उनके पिता भी पुलिस महकमे में थे।


गोरखपुर से पंकज चौधरी ने शुरू किया था राजनीति सफर



उत्तर प्रदेश से महाराजगंज से भाजपा के सांसद पंकज चौधरी ने मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री पद की शपथ ली है। वर्ष 2019 में पंकज चौधरी 6वीं बार लोकसभा पहुंचे हैं। चौधरी का जन्म गोरखपुर में हुआ और यहीं पढ़े-लिखे। 57 वर्षीय पंकज को पार्षद से लेकर संसद सदस्य तक का अनुभव है। गोरखपुर से ही राजनीतिक कॅरियर शुरू हुआ। पंकज वर्ष 1991, वर्ष 1996, वर्ष 1998, वर्ष 2004 व वर्ष 2014 में सांसद चुने गए। वर्ष 2019 में वे छठवीं बार सांसद चुने गए। पंकज चौधरी चौधरी ने बेटी की शादी से एक दिन पहले मंत्री पद की शपथ ली है।


दलित वोट बैंक साधने के लिए कौशल किशोर पर दांव



यूपी में दलितों के बड़े नेता के तौर पर कौशल किशोर पहचान बना चुके हैं। राजधानी लखनऊ के बाहरी हिस्से मोहनलालगंज से लागातार दूसरी बार सांसद बने हैं। कौशल दलितों के उत्थान के लिए अपने इलाके में लागातार काम कर रहे हैं। इनकी पत्नी भी विधायक हैं। उनकी सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र ही नहीं, बल्कि आस-पास के जिलों में अच्छी पकड़ है। मोदी कैबिनेट में शामिल कर पार्टी इस समुदाय को बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।


वर्ष 2002 में कौशल पहली बार विधायक बने। उसके बाद वर्ष 2004 में मुलायम सिंह की सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा मिला। वर्ष 2007 और वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हार गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2019 में दोबारा सांसद बने। अब उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया है।


मोदी-दो मंत्रिमंडल के सिपहसलार


नारायण राणे, सर्वानंद सोनोवाल, वीरेंद्र कुमार, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरसीपी सिंह, अश्विनी वैष्णव, पशुपति कुमार पारस, किरण रिजिजू, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी, मनसुख मंडाविया, भूपेंद्र यादव, पुरुषोत्तम रूपाला, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, सत्यपाल सिंह बघेल, राजीव चंद्रशेखर, शोभा करंदलाजे, भानुप्रताप सिंह वर्मा, दर्शना विक्रम जरदोश, मीनाक्षी लेखी, अन्नपूर्णा लेखी, ए नारायण स्वामी, कौशल किशोर, अजय भट्ट, बीएल वर्मा, अजय कुमार, देवसिंह चौहान, भगवंत खूबा, कपिल पाटिल, प्रतिमा भौमिक, सुभाष सरकार, भगवत कृष्ण राव कराड़, राजकुमार रंजन सिंह, भारती प्रवीण पवार, विश्वेश्वर टुडू, शांतनु ठाकुर, महेंद्र भाई मुंजापारा, जॉन बारला, एल मुरुगन एवं नीतीश प्रामाणिक।


बरेली के संतोष गंगवार का मंत्रिमंडल से इस्तीफा


केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने इस्तीफा दे दिया है। बरेली से सांसद 73 वर्षीय गंगवार ने उम्र के चलते इस्तीफा दिया है। मोदी कैबिनेट में ज्यादातर युवा चेहरों को जगह दी है। संतोष गंगवार ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर शपथ ली थी। उन्हें श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2017 में गंगवार को श्रम एवं रोजगार मंत्री बनाया गया था। वर्ष 2014 में संतोष गंगवार को वित्त राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया। बाद में उन्होंने कपड़ा मंत्रालय भी संभाला था।

Post a Comment

0 Comments

if you have any doubt,pl let me know

Post a Comment (0)
To Top