बाल गणेश और घमंडी चंद्रमा की कहानी
हिन्दू धर्म को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मालूम है कि गणेश जी को मिठाई पसंद है और उसमे भी मोदक उनकी प्रिय मिठाई है। शायद इसलिए वो किसी के भी निमंत्रण को स्वीकार कर लेते हैं और मिठाई पेट भर कर खाते हैं।
एक बार की बात है धनपती कुबेर ने भगवान शिव और माता पार्वती को भोज पर आमंत्रित किया। भगवान शिव ने कैलाश छोड़कर कहीं नहीं जाने का कारण बताते हुए अपनी असमर्थता वयक्त की और पार्वती जी भी अपने स्वामी को छोड़कर कहीं नहीं जा सकती थीं।तब उन्होंने धनपति कुबेर से कहा कि आप हमारे स्थान पर गणेश को ले जाए, वैसे भी उन्हें मिठाई और भोज बहुत पसंद आते हैं।
तब कुबेर गणेश जी को अपने साथ भोज पर ले गए। वहां उन्होंने मन भर कर मिठाई और मोदक का भोग किया। धनपति कुबेर ने उन्हें मिठाई का थाल देकर विदा किया। लौटने समय चन्द्रमा की चांदनी में गणेश जी अपने चूहे पर बैठकर आ रहे थे, लेकिन ज्यादा खा लेने के कारण बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को संभाल पा रहे थे।
आते वक्त मूसकराज का पैर किसी पत्थर से टकरा गया और वो डगमगा गए। इससे गणेशी जी मूसकराज के ऊपर से गिर गए और पेट ज्यादा भरा होने के कारण अपने आप को संभाल नहीं सके और मिठाइयां भी यहां-वहां गिर गईं।
इस घटना पर चन्द्रदेव की द्रष्टि पड़ी और वह अपनी हँसी नहीं रोक पाए और उनका मजाक उड़ाते हुए बोले कि जब खुद को संभाल नहीं सकते, तो इतना खाते क्यों हो।
चन्द्रमा की बात सुनकर गणेश जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने सोचा कि चन्द्रमा घमंड में चूर है मुझे उठाने के लिए कोई सहायता करने के। बजाय मेरा मजाक उड़ा रहा है। इसलिए, गणेश जी ने चन्द्रमा को श्राप दिया कि जो भी गणेश चतुर्थी के दिन तुमको देखेगा वह लोगाें के सामने चोर कहलाएगा।
श्राप की बात सुनकर चन्द्रमा घबरा गए और सोचने लगे कि फिर तो मुझे कोई भी नहीं देखेगा। उन्होंने शीघ्र ही गणेश जी से माफी मांगी। कुछ देर बाद जब गणेश जी का गुस्सा शांत हुआ, तब उन्होंने कहा कि मैं श्राप तो वापस नहीं ले सकता, लेकिन तुमको एक वरदान देता हूं कि अगर वहीं व्यक्ति अगली गणेश चतुर्थी को तुमको देखेगा, तो उसके ऊपर से चाेर होने का श्राप उतर जाएगा। तब जाकर चन्द्रमा की जान में जान आई।
इसके अलावा एक और कहानी सुनने में आती है कि गणेश जी ने चन्द्रमा को उनका मजाक उड़ाने पर श्राप दिया था कि वह आज के बाद किसी को दिखाई नहीं देंगे। चन्द्रमा के मांफी मांगने पर उन्होंने कहा कि मैं श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन एक वरदान देता हूं कि तुम माह में एक दिन किसी को भी दिखाई नहीं दोगे और माह में एक दिन पूर्ण रूप से आसमान पर दिखाई दोगे। बस तभी से चन्द्रमा पूर्णिमा के दिन पूरे दिखाई देते हैं और अमावस के दिन नजर नहीं आते।
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