World No Tobacco Day : Complications in corona infection increasing tobacco consumption : विश्व तंबाकू निषेध दिवस : तंबाकू का सेवन बढ़ा रहा कोरोना संक्रमण में जटिलताएं

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  • फेफड़े और श्वांस नली की प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर होने से हो जाता घातक
  • कोरोना की पिछली दो लहर में तंबाकू सेवन करने वाले मिले 50 फीसद संक्रमित



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


लंबे समय से तंबाकू, उससे जुड़े उत्पाद और धूमपान श्वसन तंत्र से लेकर फेफड़े के सबसे बड़े दुश्मन हैं। तंबाकू के सेवन से श्वांस नली और फेफड़े की प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। ऊपर से दो साल से नई आफत के रूप में कोरोना वायरस का संक्रमण है। विशेषज्ञों का कहना है कि तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों के लिए घातक है। कोरोना वायरस उनके शरीर में प्रवेश करते ही तेजी से जटिलताएं पैदा करता है, जो जानलेवा साबित होती हैं। कोरोना की पिछली दो लहर में तंबाकू का सेवन करने वाले 50 फीसद कोरोना संक्रमित थे।



ऐसे होती है समस्या


तंबाकू के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। खासकर जो धूमपान करते हैं। उनके फेफड़े में पहले से ही टार जमा होता है। जो फेफड़ की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। जब वायरस श्वांस नली से प्रवेश करता है तो कमजोर प्रतिरक्षण प्रणाली विरोध नहीं कर पाती है। ऐसे में वायरस सीधे फेफड़े में पहुंच जाता है। ऐसे व्यक्तियों के फेफड़े की कोशिकाओं के ऐस-2 रिसेप्टर की संख्या अधिक होती है। इसलिए ऐस-2 रिसेप्टर में चिपक कर तेजी से संक्रमण फैलाने लगता है। फेफड़े को जकड़ने लगता है, जिससे कार्यक्षमता तेजी से कम होने लगती है। ऐसे व्यक्तियों के फेफड़े का एक्सरे कराने पर पूरी तरह से सफेद दिखाई पड़ता है।


यह है गंभीर स्थिति


लंबे समय तक तंबाकू का किसी रूप में सेवन करने से खाने की नली, गले और श्वांस नली में जेनेटिक बदलाव आने लगते हैं। अगर धूमपान करते हैं तो इसी वजह से श्वांस नली के अंदर के रोएं, जो प्रतिरोधक क्षमता का कार्य करते हैं, खत्म हो जाते हैं। क्योंकि यह रोएं किसी भी बाहरी चीज को श्वांस नली से फेफड़े तक पहुंचने से रोकते हैं। जब रोए खत्म हो जाते हैं तो कोई भी संक्रमण आसानी से फेफड़े में पहुंच जाता है।


कोरोना की पहली-दूसरी लहर में अंतर


कोरोना की पहली लहर में वायरस का संक्रमण होने पर गले में खराश, खांसी बुखार और तब फेफड़े में निमोनिया होता था। दूसरी लहर में वायरस के रूप बदलने से गले में न रुककर सीधे फेफड़े में पहुंच कर निमोनिया करते है, जो घातक साबित हो रहा है। इसलिए पहली की तुलना में इस बार मौतें अधिक हुईं।


तंबाकू का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करता है, जिससे कोरोना के हाई रिस्क पर आ जाते हैं। तंबाकू या गुटखा का सेवन करने वाले जहां-तहां सड़क, कार्यालय व घर पर थूकते रहते हैं। यह भी कोरोना का संक्रमण फैलाने की वजह बनता है।


  • डॉ. अवधेश दीक्षित, वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ एवं प्राचार्य, नारायणा मेडिकल कॉलेज, पनकी, कानपुर।


पिछले अनुभव देखे जाएं तो तंबाकू व धूमपान करने वालों में वायरस इंफेक्शन एवं निमोनिया सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा 50 फीसद तक तेजी से होता है। अब कोरोना है, गले की खराबी निमोनिया न बन जाए। इसलिए भविष्य में कोरोना व अन्य घातक बीमारियों से बचने के लिए तंबाकू से तौबा करने की जरूरत है।


  • डॉ. सुधीर चौधरी, वरिष्ठ प्रोफेसर, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर।


अहम तथ्य


  1. 12 लाख मौतें हर साल तंबाकू एवं तंबाकू जनित पदार्थों के सेवन से हर साल होती
  2. 50 फीसद मौतें तंबाकू, सिगरेट व गुटखा का सेवन करने वालों की कोरोना से होने की संभावना
  3. 25-50 फीसद तक अधिक संक्रमण की संभावना तंबाकू का सेवन करने वालों में होती है

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