दिनांक : 10 जून 2021, दिन : गुरूवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु : ग्रीष्म
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण
तिथि - अमावस्या शाम 04:22 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र - रोहिणी सुबह 11:45 तक तत्पश्चात मॄगशिरा
योग - धृति सुबह 07:49 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल - दोपहर 02:19 से शाम 03:59 तक
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
सूर्योदय : प्रातः 05:57 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:18 बजे
व्रत पर्व विवरण -
दर्श-भावुका अमावस्या, शनैश्वर जयंती
विशेष -
अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
स्कन्दपुराण के प्रभास खंड के अनुसार-
अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते
जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
पंचक
28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
व्रत-त्योहार
एकादशी
21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी
प्रदोष
22 जून, मंगलवार : भौम प्रदोष
अमावस्या
10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या
अगर बार-बार एक्सीडेंट हो रहा है-
किसी के साथ बार-बार दुर्घटना या एक्सीडेंट हो रहा है तो शुक्ल पक्ष (अमावस्या के तुरंत बाद) के पहले मंगलवार को 400 ग्राम दूध से चावल धोकर बहती नदी या झरने में बहा दें।और सुबह शाम हनुमान चालीसा का पाठ करे। लगातार सात मंगलवार तक इस उपाय को करने से दुर्घटनाएं बंद हो जाएंगी और शांति आ जाएगी।
समृद्धि बढ़ाने के लिए-
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।
दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी।
खेती के काम में ये सावधानी रखें-
ज़मीन है अपनीऔर खेती का काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें न मजदूर से करवाएं | जप करें भगवत गीता का ७ वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें आज जो मैंने पाठ किया अमावस्या के दिन उसका पुण्य मेरे घर में जो गुजर गए हैं उनको उसका पुण्य मिल जाये | तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी |
गंगा स्नान का फल-
11 जून 2021 शुक्रवार से गंगा दशहरा प्रारंभ ।
जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है । (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
गंगा स्नान का मंत्र-
गंगा स्नान के लिए रोज हरिद्वार तो जा नही सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुन्य मिलने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है।
ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा
ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करें तो गंगा स्नान का लाभ होता है | गंगा दशहरा के दिन इसका लाभ जरुर लें।
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