New COVID-19 Guideline For Children Below Five Years : पांच साल तक के बच्चों के लिए जरूरी नहीं मास्क

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  • कोरोना संक्रमित होने पर बच्चों को न स्टेरॉयड और न रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाएं
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की कोरोना से बचाव और इलाज के लिए नई गाइडलाइन



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक आने की संभावना है। इसमें 17 वर्ष से नीचे के बच्चों के प्रभावित होने की संभावना है। बच्चों को ध्यान में रखते हुए शासन ने युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। अस्पतालों में इलाज का मुकम्मल इंतजाम के साथ छोटे बच्चों व किशोरों को संक्रमण से बचाने व इलाज की गाइडलाइन जारी की है। कहा गया है कि पांच साल की कम उम्र के बच्चों को मास्क लगाना जरूरी नहीं है। अगर बच्चे संक्रमण की चपेट में आते हैं तो स्टेरॉयड थेरेपी और रेमडेसिविर के इंजेक्शन भी लगाने की मनाही होगी। आपात स्थितियों में डॉक्टर तय करेंगे।



कोरोना वायरस की सितंबर अक्टूबर में तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार पिछले अनुभवों से सबक लेकर तैयारी में जुटी है। इस बार कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है। विशेषज्ञ इस बार बच्चों के प्रभावित होने की बात कह रहे हैं। उनका तर्क है कि बुजुर्गों से लेकर 18 वर्ष के युवाओं को वैक्सीन लग रही है, इसलिए बच्चे ही टारगेट होंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि बच्चों में एंटी वायरल रेमडेसिविर का इस्तेमान न किया जाए। बहुत जरूरी होने पर ही सीटी स्कैन कराएं। इसमें यह कहा गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर रेमडेसिविर के असर और कितना कारगर है, इसका अभी कोई डाटा ही नहीं है। 


बच्चों का छह मिनट वाक टेस्ट कराएं


12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों का ऑक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओटू) जांच के लिए छह मिनट का वाक टेस्ट कराएं। इसमें अंगुली में पल्स आक्सीमीटर लगाकर छह मिनट तक उन्हें चलाएं। ताकि कोरोना संक्रमित बच्चों की शारीरिक स्थिति का पता चल सके। यह टेस्ट उनके माता-पिता या अभिभावक की देखरेख में ही करें। आक्सीजन सेचुरेशन 94 से कम होने पर सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए अस्पताल में भर्ती कराएं।


अस्थमा पीडि़त का न कराएं वाक टेस्ट


अगर बच्चा पहले से ही अस्थमा की बीमारी से पीडि़त है। उन बच्चों में छह मिनट का वाक टेस्ट नहीं कराने की सलाह दी गई है। अगर किसी बचचें में कोरोना का गंभीर संक्रमण दिखता है तो उन्हें बिना समय गवाएं तत्काल आक्सीजन थेरेपी शुरू कराएं।


गंभीर स्थिति में ही स्टेरॉयड थेरेपी


नई गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया है कि गंभीर स्थिति में ही विशेषज्ञ स्टेरॉयड थेरेपी का निर्णय लेंगे। बच्चों को कब और कितनी मात्रा में स्टेरॉयड का इस्तेमा किया जाना है। उसकी डोज और अवधि को लेकर सतर्कता जरूरी है। ध्यान रहे, अपने मन से बच्चों के स्वजन स्टेरॉयड थेरेपी का इस्तेमाल न करें, वर्ना घातक हो सकता है।


जरूरी होने पर ही कराएं सीटी स्कैन


अस्पतालों में भर्ती बच्चों का इलाज कर रहे डाक्टर बेहद संजीता रहें। बच्चों के फेफड़े में संक्रमण की स्थिति का पता लगाने के लिए बहुत ही जरूरी होने पर सीटी स्कैन कराएं। सीटी स्कैन में कई अतिरिक्त जानकारी मिलती है, लेकिन उसका इलाज में कोई महत्व नहीं होता। इसलिए ध्यान रखना जरूरी है कि जो दो दवाइयां चल रही हैं, वह बीमारी की गंभीरता और शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रही हैं। इसलिए निगरानी जरूर करें।


केंद्र सरकार ने बच्चों के इलाज के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। उसमें बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित से लेकर अस्पताल में भर्ती गंभीर संक्रमित के इलाज का विस्तृत दिशा-निर्देश दिया है। पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट और आइसोलेशन में उनका कैसे इलाज किया जाना है। अगर बहुत जरूरी होने पर आपस में विचार-विमर्श के बाद ही स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाए। वैसे गंभीर बच्चों की विशेषज्ञों को निगरानी में स्टेरॉयड थेरेपी चलाई जाए। अपने मन से भूल कर भी बच्चों का इलाज न करें।


  • डॉ. एके आर्या, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।


इसका रखा जाए ध्यान


बिना लक्षण के संक्रमित बच्चों को कोई दवा न दें।

पांच साल से बड़े बच्चों को अलग तरह के मास्क दें।

बच्चों को स्वच्छता, हाथ साफ रखने की महत्ता बताएं।

संक्रमण से बचाव के लिए एक-दूसरे से दूरी रखना बताएं। भोजन में पौष्टिक आहार देकर बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाएं।


यह जानना जरूरी


  • बिना लक्षण के संक्रमितों को न चलाएं स्टेरॉयड।
  • सामान्य-मध्यम लक्षण में स्टेरॉयड नुकसानदेह।


मास्क के लिए यह जरूरी


  • पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क जरूरी नहीं।
  • 6-11 साल के बच्चे को उनकी क्षमता हिसाब से पहनाएं, अभिभावक भी ध्यान रखें।
  • 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे वयस्कों की तरह की मास्क पहनें।
  • उनके हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह धुलाएं और फिर मास्क पहनाएं।
  • साबुन और पानी न होने की स्थिति में अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर से हाथ साफ कराएं, फिर मास्क पहनाएं।

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