Largest Oxygen Generation Plant installed at Narayana Medical College, Kanpur : कानपुर के नारायणा मेडिकल कॉलेज में लगा सबसे बड़ा ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट

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  • औद्योगिक विकास मंत्री और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने फीता काटकर किया शुभारंभ



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए अधिकारी तीसरी लहर से निपटने की तैयारी में जुट गए हैं। सरकारी एवं निजी अस्पतालों में प्रभावी इंतजाम किए जा रहे हैं। जिला अब आक्सीजन की उपलब्धता के लिए आत्मनिर्भर बन रहा है। इस कड़ी में शनिवार को नारायणा मेडिकल कॉलेज में जिले के सबसे बड़े आक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना की गई है, जो 125 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा की क्षमता से आक्सीजन तैयार करेगा। प्रतिदिन 426 डी-2 आक्सीजन सिलिंडर भरे जा सकेंगे।



पनकी के गंगागंज स्थित नारायणा मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में शनिवार को प्लांट का फीता काटकर शुभारंभ औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना एवं उच्च शिक्षा राज्य मंत्री नीलिमा कटियार ने किया और प्लांट की कार्यप्रणाली भी देखी। सतीश महाना ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए सरकार हर संभव उपाय कर रही है। जिससे जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से कम हुई है।



राज्य मंत्री नीलिमा कटियार ने कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से जिला प्रशासन सरकारी एवं निजी अस्पतालों में तैयारी करा रहा है। ऑक्सीजन की कमी, बेड की कमी और दवाइयों की कमी नहीं होने दी जाएगी। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। स्थिति से अवगत होने के बाद समस्या का निस्तारण भी कर रहे हैं।




पर्यावरण दिवस पर सांसद देवेंद्र सिंह भोले, मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर, डीएम आलोक तिवारी, सीएमओ डॉ. नैपाल सिंह, संस्था के चेयरमैन कैलाश नारायण, सचिव अमित नारायण, प्रबंध निदेशक डॉ. उदित नारायण, डॉ. जीके तिवारी, डॉ प्राचार्य डॉ. एके दीक्षित एवं डीन डॉ. आरती लालचंदानी ने पौध रोपण किया।


20 किलो लीटर क्षमता का एलएमओ प्लांट



नारायणा मेडिकल कॉलेज में 20 किलो लीटर क्षमता का लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) प्लांट का टैंक भी स्थापित किया गया है। उसका भी आज उद्घाटन किया गया।


50 बेड का पीआइसीयू


भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर की चुनौतियों को देखते हुए हास्पिटल प्रबंधन को 50 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) तैयार करने के लिए कहा गया। ताकि बच्चों के इलाज के लिए परेशानी न उठानी पड़े। उन्हें आसानी से इलाज मिल सके।

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