Kanpur News : अत्याधिक नशे के सेवन से हो सकती लिवर, कैंसर से लेकर मानसिक बीमारी

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  • अंतरराष्ट्रीय नशा एवं मादक पदार्थ निषेध दिवस पर हुई जागरूकता गोष्ठी



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


अत्याधिक नशा एवं मादक पदार्थों के सेवन से कैंसर, लिवर तथा एचआईवी, हेपेटाइटिस, साइकोसिस जैसे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। परिवार को आर्थिक नुकसान और असामाजिक व्यवहार जैसे चोरी, हिंसा, अपराध एवं सामाजिक कलंक के दुष्प्रभाव भी पड़ सकते हैं। दुर्घटना की मुख्य वजह शराब एवं नशीले पदार्थ का सेवन है। समाज में दिन-प्रतिदिन शराब व मादक पदार्थों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रयास होने चाहिए। यह बातें रविवार को एसीएमओ डाॅ. महेश कुमार ने कहीं।



डाॅ. कुमार जिला स्वास्थ्य समिति के नान कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) प्रकोष्ठ एवं हैलो फाउंडेशन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय नशा एवं मादक पदार्थ निषेध दिवस पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मादक पदार्थ के सेवन से होने वाली हानि के प्रति जागरूक के लिए आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ किया। एनसीडी के नोडल अफसर डाॅ. महेश कुमार इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे थे।



वहीं, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभारी डाॅ. आरती कुशवाहा कहा कि लम्बे समय तक नशीले पदार्थों के सेवन का दिमाग असर पड़ता है। इस वजह से साइकोसिस नामक बीमारी हो जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति अकेले में बात करता रहता है। पत्नी पर शक करने लगता है अौर चिड़चिड़ा हो जाता है। ड्रग्स, स्मैक, इंजेक्शन से नशा करने वालों को नींद न आने की समस्या होती है। लम्बे समय से शराब पीने से लिवर खराब होने की संभावना अधिक होती है। तम्बाकू उत्पाद का सेवन कैंसर की वजह बनता है, फिर भी लोग गुटखा, तम्बाकू व धूम्रपान करते हैं।


किशोरावस्था में घर एवं आस-पड़ोस के लोगों को मादक पदार्थों का सेवन करते देखकर उनमें भी उत्सुकता होती है। इसकी वजह बच्चों में नई चीजों को अपनाने की चाह होती है। यही वजह है कि हुक्का, शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं गुटखा का सेवन बच्चों में आम होता जा रहा है। कम आयु में बच्चे नशे के लती हो रहे हैं। नशे से होने वाली गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। उनके शारीरिक, मानसिक व व्यवहार में बदलाव आने लगे हैं। उनमें अपराध की प्रवृत्ति, शैक्षिण असफलता, स्कूल से गायब रहना और हिंसाक, शक और समय से पहले यौन सक्रियता बढ़ रही है। ऐसे में परिवार व समाज की जिम्मेदारी उनमें नशा की प्रवत्ति रोकी जाए।



क्लिनिकल साइकेट्रिक डॉ. सुधांशु प्रकाश मिश्रा ने कहा कि मादक पदार्थ सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। ऐसे लोग जो नशे की लत से परेशान हैं। नशा छोड़ना चाहते हैं, वह उर्सला अस्पताल में प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को कमरा नंबर 109 से 112 में सुबह 8 बजे से 2 बजे तक दिखा सकते हैं। नशे के लती दो प्रकार से नशा छोड़ सकते हैं। नशा मुक्ति केंद्र के माध्यम से अथवा स्वयं के दृढ़ निश्चय से।




कार्यक्रम अध्यक्षता हैलो फाउंडेशन के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने की। संचालन जिला सलाहकार तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की निधि बाजपेई ने किया। अंत में संस्था की महिलाओं की ओर से नाश मुक्ति के संकल्प के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। इसके माध्यम से समाज को नशा मुक्त करने संकल्प लिया गया।



हैलो फाउंडेशन के सचिव जगजीत सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कहा, इस कार्यक्रम का उद्​देश्य शराब, तम्बाकू, गुटखा, सिगरेट की लत एवं नशीले मादक पदार्थों के सेवन के दुष्परिणामों से समाज को अवगत कराना था। मादक मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम के लिए उचित वातावरण एवं चेतना का निर्माण करना जरूरी है। कार्यक्रम में संदीप सिंह, अखंड प्रताप, निशांत निगम, फाउंडेशन से हिमालय पंथ, संजय पराशर, गणेश प्रसाद, महेश पंथ एवं प्रज्ञा कौर मौजूद रहीं।


अभिवावकों के लिए सुझाव


  • बच्चों और अभिभावकों के बीच मजबूत संबंध हों।
  • उनसे सतत संवाद और बेहतर देखभाल जरूरी।
  • मुश्किल हालात में भी उनके संग सहानभूति जरूरी।
  • बच्चे का पूरा ध्यान रखें, उनके साथ समय भी बिताएं।
  • बच्चे के छोटे-छोटे कार्यों की भी प्रशंसा जरूर करें।
  • यह जानें, बच्चा कहां, किसके साथ और कितने देर रहा।


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