Kanpur Central station : 13 fake TCs were working for seven days : कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सात दिन से नौकरी कर रहे थे 13 फर्जी टीसी

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


कानपुर रेलवे स्टेशन पर सात दिन से नौकरी कर रहे 13 फर्जी रेलकर्मी और तीन एजेंट को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) दबोचने में कामयाब हुई है। इसके साथ ही सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ भी किया है। सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर दो जून से 13 फर्जी रेल कर्मचारी नौकरी कर रहे थे। उनकी किसी को भनक तक नही थी।


इन फर्जी रेलकर्मियों को तीनों एजेंट ने फर्जी नियुक्ति पत्र देकर सेंट्रल स्टेशन पर ज्वाइन कराया था। जीआरपी ने मुकदमा दर्ज कर फरार तीनों एजेंटों की तलाश में टीमें रवाना कर दी हैं। फर्जी परिचय पत्र और नियुक्ति पत्र के साथ पकड़े गए 13 लोगों से पूछताछ चल रही है।


बुधवार देर रात टिकट निरीक्षक सुनील पासवान प्लेटफॉर्म नंबर दो-तीन पर चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान एक युवक गले में रेलवे का परिचय पत्र टांगे दिखा। परिचय पत्र पर दिनेश कुमार गौतम लिखा हुआ था। टीटीई सुनील से युवक ने पूछा कि आप स्टाफ हैं। दिनेश ने बताया कि वह ट्रेनिंग कर रहा है। उसके कई और साथी भी सेंट्रल स्टेशन पर प्रशिक्षण ले रहे हैं। ट्रेनिंग लेने वाले दूसरे साथियों को बुलाने के लिए कहा तो दिनेश ने फोन मिलाया, लेकिन एक घंटे तक कोई नहीं आया।


टीटीई सुनील ने दिनेश को जीआरपी के हवाले कर दिया। पूछताछ में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह की कलई खुलने लगी। फर्जी नियुक्ति के बड़े गिरोह की आशंका में जीआरपी और आरपीएफ की चार टीमें तत्काल सक्रिय हो गईं। एक-एक कर 16 लोगों को पकड़ लिया गया। उनके पास से फर्जी आई कार्ड और नियुक्ति पत्र बरामद हुए हैं।



पंद्रह लाख रुपये देकर नौकरी


डिप्टी एसपी कमरूल हसन ने बताया कि फर्जी नियुक्ति पत्र के लिए गिरोह के सदस्यों ने पांच से 15 लाख रुपये तक वसूल किए हैं। बेरोजगारी का फायदा उठाकर गिरोह ठगी करता है। टीसी के लिए पांच से पंद्रह लाख रुपये, जबकि पार्सल पोर्टर (सामान उठाने रखने वाले) के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये लिए जाने की बात आरोपियों ने स्वीकार की है।


सरगना हो गया फरार


जीआरपी ने गिरोह के सरगना रुद्र प्रताप ठाकुर की तलाश में पनकी में छापेमारी की, लेकिन वह भागने में कामयाब हुआ। जीआरपी ने उसकी गाड़ी जब्त कर ली है। रुड़की का प्रॉपर्टी डीलर राकेश भट्ट बेरोजगारों को फंसाने का काम करता है। झांसे में आने वाले युवकों को रुद्र प्रताप के पास भेजा जाता था। उसके साथी अनुज अवस्थी और रोहित की भी तलाश की जा रही है।


गिरोह के तार रेलवे से जुड़े होने की आशंका


कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने वाले गिरोह के तार कहीं न कहीं रेलवे से तो नहीं जुड़े हैं। फर्रुखाबाद निवासी अभिषेक ने पुलिस को बताया कि मेरी लास्ट नाइट ड्यूटी थी। अभिषेक को टिकट चेकिंग और फेयर टिकट रसीद बुक भरने की जानकारी थी। इससे लगता है कि बिना ट्रेनिंग टीसी का काम करने की जानकारी किसी न किसी रेलवे स्टाफ ने ही उन्हें दी होगी। पुलिस इस बिंदु पर भी काम कर रही है। इसी तरह सीसामऊ निवासी पवन गुप्त की मां सिलाई का काम करती हैं। उनके पति प्राइवेट नौकरी करते हैं। इन्होंने पचास हजार रुपये एडवांस देकर बेटे को नौकरी दिलवाई थी, लेकिन बाद में बेटे ने नौकरी छोड़ दी।


पुलिस की कहानी पर सवाल


पुलिस ने रेलवे में फर्जी तरह से नौकरी दिलाने और फर्जी नियुक्तिपत्र के साथ आईकार्ड देकर एक सप्ताह से नौकरी कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। दो जून से सेंट्रल स्टेशन पर 13 फर्जी टीसी, पार्सल पोर्टर काम कर रहे थे। इसकी किसी को भनक नहीं लगी। न तो चेकिंग स्टाफ और न ही पार्सल के कर्मचारी-अधिकारी को। डिप्टी एसपी कमरूल हसन ने बताया कि फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले युवक 2 जून से नौकरी कर रहे थे। फर्जी स्टाफ को रेलवे अधिकारियों को पकड़ना चाहिए था। जब बिना टिकट बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक है। इनकी हाजिरी लग रही थी तो भी किसी को भनक कैसे नहीं हुई। टीटीई ने एक को पकड़ा तो बाकी कैसे पकड़ में आ गए। ड्यूटी तो सुबह खत्म हुई थी। रेलवे के अफसर इसका जवाब देने से कतरा रहे हैं।


पहले भी पकड़े जा चुके फर्जी टीसी, गार्ड


सेंट्रल स्टेशन पर पिछले साल पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में फर्जी टीसी कानपुर सेंट्रल पर पकड़ा गया था। वर्ष 2009 में एक फर्जी गार्ड को जीआरपी ने अनवरगंज में पकड़ा था। जांच में टूंडला के एक रेल कर्मचारी का नाम सामने आया था। फर्जी गार्ड को गिरोह के सदस्यों ने फर्रुखाबाद स्टेशन पर वर्दी पहनाकर और झंडी देकर ट्रेन में चढ़ा दिया था।


लास्ट नाइट ड्यूटी ही कराते


सेंट्रल पर फर्जी तरीके से नौकरी करने वाले सभी युवकों को स्टेशन पर लास्ट नाइट में ही ड्यूटी लगाई जाती थी। लास्ट नाइट का मतलब रात 10 से सुबह 6 बजे की ड्यूटी। इसी वजह से किसी को इन पर शंका तक नहीं होती थी।


माफिया चला रहे थे समानांतर रेलवे


रेलवे पुलिस की गिरफ्त में आए गिरोह के एजेंट दिनेश कुमार ने बताया कि साथी पवन गुप्त और शिवनारायण स्टेशन पर रात 9 बजे पहुंच जाते थे और सभी युवकों की ड्यूटी लगाने के लिए परिसर में ही रजिस्टर में दस्तखत कराते थे। इसके बाद सभी को अलग- अलग जगहों पर भेज देते थे।


अलर्ट जारी, जांच में पता चलेगी सच्चाई


एनसीआर सीपीआरओ डॉ. शिवम शर्मा का कहना है कि कानपुर सेंट्रल पर फर्जी तरीके से टिकट चेकिंग से लेकर ट्रेन क्लर्क के पद पर फर्जी तरीके से नौकरी दिलवाने का मामला गंभीर है। टिकट कलक्टर सुनील पासवान ने चेकिंग के दौरान आशंका पर पकड़ा है। इसकी वजह से सभी विभागों में अलर्ट जारी कर दिया है कि वे लोग भी एसे लोगों पर निगाह रखें, कहीं वहां पर भी तो कुछ इस तरह से तो काम नहीं कर रहे हैं। जीआरपी ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज करके विवेचना शुरू कर दी है। जल्द ही हकीकत सामने आ जाएगी।

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