- योग, आसान व प्राणायाम पर अमल का दो से तीन दिन में दिखने लगा असर
- 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला कोरोना वायरस वायरस को मात देने में रहीं कामयाब
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने लखनऊ के गोमती नगर के विवेक खंड निवासी आलोक के संयुक्त परिवार के लिए भयावह साबित हुई। कोरोना की चपेट में आने से उनकी भाभी सांसें थम गईं। उनकी मौत और कोरोना के अनजान खतरे से पूरे परिवार का हौसला पस्त होने लगा। उन सभी की आंखों के सामने 24 घंटे एक-एक सांसों के लिए जूझती भाभी का चेहरा घूमता रहता था। इस भयावह मंजर ने उनकी बुजुर्ग मां समेत पूरे परिवार की दिनोंदिन हिम्मत टूटने लगी। ऐसे में उनके रिश्तेदार ने फोन कर योग, आसान एवं प्राणायाम और आयुर्वेद अपनाने की सलाह दी। इस पर अमल करते ही असर दिखने लगा।
गोमती नगर के विवेक खंड में रहने वाले 51 वर्षीय आलोक कुमार आलोक संयुक्त परिवार में रहते हैं। कोरोना की दूसरी लहर के भयावह मंजर के दौरान अप्रैल में पूरा परिवार संक्रमण की चपेट में आ गया। इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित उनकी भाभी निधि सक्सेना का 13 अप्रैल को निधन हो गया। उनकी मौत की वेदना और कोरोना की दहशत से सभी की हिम्मत जवाब देने लगी। अज्ञात भय से सहम उठे।
उनकी, उनकी 76 वर्षीय मां समेत अन्य स्वजन की हिम्मत जवाब देनी लगी थी। हर समय सांसों के लिए संघर्ष करती भाभी का चेहरा आंखों के सामने घूमता था। ऐसे में हिम्मत टूटने लगी थी। कोरोना के संक्रमण का तेज बुखार, सूखी खांसी और दम फूलने से कमजोरी व पीड़ा और बढ़ रही थी। अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे थे। आक्सीजन लेवल घटने से जीवन नाउम्मीद हाेने लगा था। ऐसे में रामचंद्र मिशन हैदराबाद में रह रहे मेरे रिश्तेदार ने फोन कर हिम्मत बढ़ाई। भागवत दास घाट स्थित योगाचार्य एवं आयुर्वेद चिकित्सक डाॅ. रवीन्द्र पोरवाल से संपर्क करने की सलाह दी।
फोन कर उनसे 16 अप्रैल को संपर्क किया। पूरी तसल्ली से बीमारी और अपनी परेशानी समझाई। उन्होंने योग-प्राणायाम, नेचुरोपैथी और आयुर्वेद के माध्यम से इलाज प्रारंभ किया। डाॅ. रवीन्द्र पोरवाल एवं उनकी पत्नी डाॅ. रजनी पाेरवाल ने वीडियोकाल के माध्मय से यौगिक क्रियाओं का नियमित अभ्यास प्रारंभ कराया। उसमें सूर्यभेदी प्राणायाम व कपालभाति के साथ जरानाशक आसन, उत्थितपक्षी आसन, अश्वचालनासन, और विमानासन जैसी योगिक क्रियाएं करने का लाभ दूसरे दिन से मिलने लगा।
पहले दिन से ही बेचैनी, अनिद्रा, हाथ-पैरों में दर्द और सांस लेने की समस्या में 40 फीसद तक आराम मिला। साथ ही आयुर्वेद अवलेह से ठसका और सूखी खांसी में भी तेजी से कमी आई। साथ ही स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होना शुरू हो गया। मैं और मेरी बुजुर्ग मां कोरोना वायरस के संक्रमण को मात देने में कामयाब हुए।
मां को मिली नई जिंदगी
आलोक कहते हैं कि योग-प्राणायाम और आयुर्वेद के समन्वय की वजह से ही मेरी 76 वर्षीय मां कोरोना का मात देने में सफल रहीं। उनकी भूख पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी। कोरोना की कमजोरी व आर्थराइटिस की वजह से चलने-फिरने में लाचार हो गईं थी। योग-प्राणायाम ने उन्हें रामबाण जैसा लाभ पहुंचाया।
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