International Yoga Day-3 : मधुमेह-हाई बीपी संग कोरोना, योग के सहारे जीती जंग

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  • 76 की उम्र में योग-आयुर्वेद के दम पर उबरने में हुए कामयाब
  • एक सप्ताह में ही कोरोना वायरस के संक्रमण को दे दी मात



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


मधुमेह और उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) से पीड़ित होने का मतलब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर है। ऊपर से अधिक उम्र, अगर कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए तो जटिलताएं होना तय है। अगर बिना समय गंवाए व्यक्ति नियम-संयम से रहते हुए योग, प्रणायाम और आयुर्वेद को अपनाकर कोरोना से आसानी से जंग जीत सकता है। जी हां, ऐसा कर दिखाया है साकेत नगर निवासी 76 वर्षीय धनीराम दुबे ने।



साकेत नगर निवासी धनीराम दुबे लंबे समय से मधुमेह, अर्थराइटिस और हाई बीपी से पीड़ित थे। चलना-फिरना कठिन था। 22 अप्रैल को वह कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ गए। संक्रमण होने के बाद खांसी से बेदम होने लगे। सांस फूलने लगी। उन्हें कमजोरी, हाथ-पैरों में दर्द तथा स्वाद-गंद भी चली गई। उनकी ऐसी हालत देखकर डाक्टर पुत्र मनोज दुबे ने पिता की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना काे मात देने के लिए योग एवं आयुर्वेद का रास्ता चुना।


भगवत दास घाट स्थित योगाचार्य व आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅ. रवीन्द्र पोरवाल से संपर्क किया। उनकी देखरेख में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विपरीत पद चालन, आश्वासन, सुप्त वज्रासन, पक्षी आसन जैसे सरल और प्रभावशाली आसन का अभ्यास शुरू किया। तीन दिन में धनीराम की स्थिति में सुधार दिखने लगा। योगिक क्रियाओं से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होने लगी। एक सप्ताह में स्थिति नियंत्रण में आई और कोरोना से मुक्ति मिल गई।


धनीराम बताते हैं कि सुक्ष्म योग, क्रिया आसन प्राणायाम, ध्यान और सूर्य नमस्कार की 12 अवस्थाओं का नियमित अभ्यास किया। विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक चटनी के सेवन से कमजोरी, थकान और सांस फूलने की समस्या 24 घंटे में दूर हो गई। सप्ताह भर में पूरी तरह से आराम मिल गया। फेफड़ों के आक्सीजन अवशोषण की क्षमता बढ़ने लगी और आक्सीजन का लेवल में सुधार होने लगा।


ऐसे बढ़ाई फेफड़ाें की मजबूती व आक्सीजन लेवल


भुजंगासन में लंबी गहरी श्वांस भरने और छोड़ने से फेफड़े मजबूत हुए। अनुलोम-विलोग में नाक के दोनों छिद्रों से बारी-बारी से सांस खींचने और छोड़ने से आक्सीजन लेवल बढ़ता गया। उज्जायी आसन से शरीर का तापमान नियंत्रित करने के साथ फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाया। कपालभाति से फेफड़े, गले और नाक को आसानी से साफ करते रहे। जिससे शरीर का रक्त संचार अच्छा होता गया।

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