Breaking News Allahabad Highcourt : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जिला न्यायालयों और न्यायाधिकरणों के कामकाज के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, प्रयागराज


इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में कोरोना COVID के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए अधीनस्थ सभी न्यायालयों और न्यायाधिकरणों के कामकाज के लिए संशोधित दिशानिर्देश मंगलवार को जारी किए हैं। नए संशोधित दिशानिर्देश के लिए महानिबंधक की ओर पत्र जारी किया गया है।इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी न्यायालय और न्यायाधिकरण मामलों की सुनवाई के लिए खुलेंगे। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्देशों का पालन सख्ती से कराएंगे। केंद्र और राज्य सरकार के COVID के दिशानिर्देशों का भी अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।



राज्य सरकार के दिशानिर्देश उन जिलों के लिए लागू होंगे, जहां स्वास्थ्य विभाग की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार सक्रिय सीओवीआईडी ​​​​मामले कम हैं 500 से अधिक। जैसे ही सक्रिय COVID मामले 500 की सीमा से अधिक हो जाते हैं, न्यायालयों के कामकाज के संबंध में पिछले दिशानिर्देश लागू होंगे। जिला न्यायाधीशों नियमित आधार पर ई-सर्विसेज मॉड्यूल पर दैनिक समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। नए दिशा-निर्देश 23 जून से अगले आदेश तक लागू रहेंगे।


साक्ष्य की रिकॉर्डिंग को छोड़कर सभी मामले। (अति आवश्यक मामलों में साक्ष्य की रिकॉर्डिंग जिला न्यायाधीशों की पूर्व अनुमति से की जा सकती है) बहुत जरूरी प्रकृति के मामलों को इसे प्राथमिकता दी जाए।


विचाराधीन कैदी के संबंध में रिमांड/अन्य न्यायिक कार्य केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। किसी भी तकनीकी समस्या के मामले में, अन्य तरीके अपनाए जा सकते हैं।


कार्यालय से संबंधित व लंबित कार्य


कोई प्रशासनिक कार्य जो लंबित हो, जैसे ही कार्य पूरा हो न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय के कर्मचारियों को न्यायालय परिसर छोड़ने का निर्देश दिया जाए।


परिसर खोलने से पहले, जिला न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट, अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ की मदद से पूरे कोर्ट परिसर की सफाई (चिकित्सा दिशानिर्देशों के अनुसार) पूरी तरह से सुनिश्चित करेंगे। जिला अधिकारी प्रतिदिन कोर्ट परिसर का सैनिटाइजेशन सुनिश्चित करेंगे। कोर्ट परिसर का सैनिटाइजेशन कोर्ट खोलने के लिए एक पूर्व शर्त है, जिसका मेडिकल दिशा-निर्देशों के अनुसार सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है।


न्यायालय परिसर और न्यायालय परिसर में जहां कहीं भी इस तरह के स्वच्छता कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसे न्यायालय न्यायिक कार्य के लिए नहीं खोले जाने चाहिए। ऐसी स्थिति में जिला न्यायाधीश जिला न्यायालय नहीं खोलेंगे। इसकी विस्तृत रिपोर्ट के साथ जिला प्रशासन व हाईकोर्ट को सूचित करेंगे।


न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जांच जिला मजिस्ट्रेट, प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ की मदद से सुनिश्चित करेंगे। न्यायिक अधिकारियों अौर अधिवक्ताओं की मांग के मामले में, वर्चुअल कोर्ट की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है।


न्यायिक सेवा केंद्र (केंद्रीकृत फाइलिंग काउंटर) या किसी अन्य उपयुक्त स्थान, नए मामलों के आवेदनों (सिविल व आपराधिक) या किसी अन्य आवेदन को प्राप्त करने के लिए बनाए जाएं। ऐसे सभी आवेदन सीआईएस में पंजीकृत किए जाएंगे। आवेदनों में मोबाइल नंबर सहित अधिवक्ता व वादकारियों का विवरण होगा। अगर कोई गड़बड़ी हो तो परामर्शदाता को सूचित किया जा सके। ऐसे आवेदनों को संबंधित न्यायालय के समक्ष रखा जाए। पक्षकारों द्वारा लिखित तर्क न्यायिक सेवा केंद्र में भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जिसे संबंधित कंप्यूटर अनुभाग द्वारा संबंधित न्यायालय को भेजा जाएगा।



जिला न्यायालय का एक समर्पित ईमेल बनाया जाए। इसे संबंधित जिला न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। ईमेल का उपयोग जमानत/अग्रिम जमानत आवेदन या लिखित तर्क सहित अन्य जरूरी आवेदन प्राप्त करने के लिए किया जाए। आवेदन प्राप्त करने का वैकल्पिक तरीका होगा।


अधिवक्ताओं के लिए उचित दूरी के साथ न्यायालय कक्ष में केवल चार कुर्सियों की व्यवस्था की जाएगी। कोर्ट परिसर और कोर्ट रूम में सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाएगा।


न्यायालय परिसर के साथ-साथ न्यायालय कक्ष में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति द्वारा मास्क का सख्ती से उपयोग किया जाएगा। कोर्ट रूम के दरवाजे पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की जाएगी। रीडर, क्लर्क आदि सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। न्यायालयों के कामकाज के संबंध में तंत्र और तौर-तरीकों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी।


️न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के प्रवेश को प्रतिबंधित और विनियमित करने के लिए आवश्यक सहायता ली जा सकती है। जैसे ही अधिवक्ताओं की दलीलें पूरी हो जाएं। वे न्यायालय परिसर तत्काल छोड़ देंगे। ️केवल ऐसे अधिवक्ता जिनका मामला किसी विशेष तिथि को सूचीबद्ध है, उन्हें न्यायालय परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए। वादकारियों या अन्य प्रतिनिधियों को परिसर में या न्यायालय के प्रवेश द्वार पर सख्ती से प्रतिबंधित करें। जिन मामलों में साक्ष्य दर्ज किया जाना है। जिला न्यायाधीशों की पूर्व अनुमति से संबंधि वादियों को न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है।


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