विक्रम संवत : 2078
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : वर्षा
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : एकादशी दोपहर 01:31 बजे तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र : स्वाती शाम 04:46 बजे तक तत्पश्चात विशाखा
योग : शिव शाम 05:34 बजे तक तत्पश्चात सिद्ध
राहुकाल : सुबह 07:38 बजे से सुबह 09:19 बजे तक
सूर्योदय : सुबह 05:59 बजे, सूर्यास्त : संध्या 19:21 बजे
दिशाशूल : पूर्व दिशा में
पंचक
28 जून, सोमवार को दोपहर 01:00 बजे से 3 जुलाई शनिवार को सुबह 06:14 बजे तक
25 जुलाई, रविवार को रात 10:48 बजे से 30 जुलाई शुक्रवार को दोपहर 02:03 बजे तक।
एकादशी
21 जून : निर्जला एकादशी
05 जुलाई : योगिनी एकादशी
20 जुलाई : देवशयनी, हरिशयनी एकादशी
प्रदोष
22 जून : भौम प्रदोष
07 जुलाई : प्रदोष व्रत
21 जुलाई : प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
24 जून : ज्येष्ठ पूर्णिमा
23 जुलाई : आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
22 अगस्त : श्रावण पूर्णिमा
अमावस्या
09 जुलाई, सुबह 5:16 बजे से 10 जुलाई, 6:46 बजे तक अमावस्या तीथि
07 अगस्त 7:11 बजे से 08 अगस्त 7:20 बजे तक हरियाली अमावस्या
व्रत पर्व विवरण
निर्जला भीम एकादशी, गायत्री माता जयंती, दक्षिणायन आरम्भ (पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 09:03 बजे तक), वर्षा ऋतु प्रारंभ
विशेष
हर एकादशी को श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
राम रामेति रामेति। रमे रामे मनोरमे।।
सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है। एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है। एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है। जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
दक्षिणायन आरंभ
21 जून 2021 सोमवार को (पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 09:03 तक) उत्तरायण या दक्षिणायान के आरंभ के दिन किया गया जप-ध्यान व पुण्यकर्म कोटि कोटि गुना अधिक एवं अक्षय होता है। पद्म पुराण
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