- देश में तम्बाकू से रोजाना तीन हजार लोग तोड़ देते हैं दम
- विभागों को तम्बाकू मुक्त करने की कर्मचारियों ने ली शपथ
बदलती जीवन शैली (Life Style)के साथ युवावर्ग के बीच धूम्रपान यानी सिगरेट के छल्ले उड़ाने का शौक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। सिगरेट हमारे शरीर और फेफड़ों को नुकसान पहुचाने के साथ मसूड़ों और दातों को भी प्रभावित पड़ता है। बीड़ी, सिगरेट या सिगार पीना मसूड़ों, मुंह, गले एवं दातों के लिए खतरनाक है। इसके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है, अगर सिगरेट के साथ शराब का भी सेवन करते है तो मुंह के कैंसर की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। खासकर कोरोना काल खतरा और बढ़ गया है। यह बातें सोमवार को विश्व तंबाकू निषेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह ने कहीं।
उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन करने वाले 40 तरह के कैंसर और 25 गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसमें मुंह और गले का कैंसर प्रमुख हैं। तंबाकू एवं इससे जुड़े पदार्थों का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। बीड़ी-सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 12 लाख लोग दम तोड़ देते हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन आंकड़ों को कम करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
रैली निकाली और पोस्टर से किया जागरूक
एनसीसी और एनएसएस कैडेट्स ने कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए तंबाकू के दुष्प्रभाव से जागरूक करने के लिए रैली निकाली। वेबिनार के माध्यम से रोकथाम के उपाए पर चर्चा की गई। बैटरी रिक्शा में बैनर लगाकर आमजन तक जागरूक किया गया। इस दौरान कैडेट्स ने विभिन्न स्लोग लिखी पट्टियां हाथ में लेकर चल रहे थे। विद्यार्थियों ने तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। स्कूल के हर कक्षा के विद्यार्थियों ने पोस्टर्स मेकिंग में हिस्सा लेते हुए नशे से दूर रहने के लिए संदेश दिए। विभागों को तम्बाकू मुक्त रखने की शपथ कर्मचारियों को दिलाई गई। हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।
यह भी जानें
हर साल 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से की गई थी। इस वर्ष की थीम विजेता बनने के लिए तम्बाकू छोड़ें रखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर साल तम्बाकू सेवन से 80 लाख मौतें होती हैं।
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