- जन्मतिथि बदलने और पांच साल के वेतन वसूली आदेश पर रोक
- एसडीएम शिकोहाबाद को भी जारी किया कारण बताओ नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सेवा पंजिका में दर्ज जन्मतिथि कर्मचारी और नियोजक दोनों पर बाध्यकारी है। सेवानिवृति के बाद इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। जन्मतिथि को सेवानिवृति के बाद पुनरीक्षित करना गलत है। यह आदेश हाईकोर्ट इलाहाबाद के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है।
हाईकोर्ट न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने संग्रह अमीन पद से वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त पेंशन भोगी बचन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए फिरोजाबाद जिले के एसडीएम शिकोहाबाद को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्य करने के लिए उचित कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने एसडीएम से 24 जून तक स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है। याचिकाकर्ता से पांच साल के वेतन 27,85,388 रुपये की वसूली आदेश एवं प्रक्रिया को निलंबित कर दिया है।
याचिकाकर्मा 31अक्टूबर 15 को सेवानिवृत्त हुआ। सेवा पंजिका में हाईस्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर जन्मतिथि 10 अक्टूबर 1955 दर्ज है। वह पेंशन पा रहा है। एसडीएम ने हाईस्कूल के पहले की शिक्षा में दर्ज जन्मतिथि 10 अक्टूबर 1950 के आधार पर जन्मतिथि परिवर्तित करने का आदेश दिया था। पांच साल अधिक सेवा का वेतन वापसी का भी निर्देश दिया। तहसीलदार ने वसूली आदेश भी जारी कर दिया। जिसे कोर्ट में चुनौती दी गयी है। इसकी अगली सुनवाई 24 जून को होगी।
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