दिनांक : 29 मई 2021, दिन : शनिवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु : ग्रीष्म
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण
तिथि - तृतीया सुबह 06:33 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र - पूर्वाषाढा शाम 06:04 तत्पश्चात उत्तराषाढा
योग - शुभ सुबह 11:30 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल - सुबह 09:17 से सुबह 10:56 तक
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
सूर्योदय : प्रातः 05:58 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:14 बजे
व्रत पर्व विवरण -
संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:41), चतुर्थी क्षय तिथि
विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
पंचक
01 जून रात्रि 3.57 बजे से 05 जून रात्रि 11.27 बजे तक
28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
व्रत-त्योहार
एकादशी
06 जून, रविवार : अपरा एकादशी
21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी
प्रदोष
07 जून, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत
22 जून, मंगलवार : भौम प्रदोष
अमावस्या
10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या
29 मई 2021 शनिवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:41)
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (पूनम के बाद की) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें -
ॐ गं गणपते नमः।
ॐ सोमाय नमः।
कोई कष्ट हो तो
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या। ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है। उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों।
छः मंत्र इस प्रकार हैं
ॐ सुमुखाय नम: -
सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे।
ॐ दुर्मुखाय नम: -
मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला परेशान करता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये।
ॐ मोदाय नम: -
मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले। उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें।
ॐ प्रमोदाय नम: -
प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं। भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी। आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है। जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है।
ॐ अविघ्नाय नम: -
विघ्नों को दूर करते हैं।सभी कष्टों का हरण कर लेते हैं।
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
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