दिनांक : 17 मई 2021, दिन : सोमवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात : 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु : ग्रीष्म
मास : वैशाख
पक्ष : शुक्ल
तिथि - पंचमी सुबह 11:34 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 01:22 तक तत्पश्चात पुष्य
योग - गण्ड 18 मई रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल - सुबह 07:39 से सुबह 09:18 तक
सूर्योदय : प्रातः 06:01 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:09 बजे
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष -
पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
पंचक
01 जून रात्रि 3.57 बजे से 05 जून रात्रि 11.27 बजे तक
28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
व्रत-पर्व विवरण
एकादशी
23 मई, रविवार : मोहिनी एकादशी
06 जून, रविवार : अपरा एकादशी
21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी
प्रदोष
24 मई, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत
07 जून, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत
22 जून, मंगलवार : भौम प्रदोष
अमावस्या
11 मई, मंगलवार : वैशाख अमावस्या
10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या
पूर्णिमा
26 मई, बुधवार : बुद्ध पूर्णिमा
पापनाशिनी, पुण्यप्रदायिनी गंगा
18 मई 2021 मंगलवार को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है ।
जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है। गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है।
संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः।।
देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करने वाली हैं । आप जीवनरूपा है। आप आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करने वाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार नमस्कार है।'(स्कंद पुराण, काशी खं.पू. 27.160)
जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन 'गंगा दशहरा' (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इन दिनों में गंगा जी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है। वैशाख, कार्तिक और माघ मास की पूर्णिमा, माघ मास की अमावस्या तथा कृष्णपक्षीय अष्टमी तिथि को गंगास्नान करने से भी विशेष पुण्यलाभ होता है।
गंगा स्नान का फल
जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।" (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
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