दिनांक : 16 मई 2021, दिन : रविवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात : 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु : ग्रीष्म
मास : वैशाख
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्थी सुबह 10:00 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र : आर्द्रा सुबह 11:14 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग : शूल 17 मई रात्रि 02:52 तक तत्पश्चात गण्ड
राहुकाल - शाम 05:31 से शाम 07:10 तक
सूर्योदय : प्रातः 06:01 बजे
सूर्यास्त : संध्या 19:08 बजे
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
पंचक
01 जून रात्रि 3.57 बजे से 05 जून रात्रि 11.27 बजे तक
28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
व्रत-पर्व विवरण
एकादशी
23 मई, रविवार : मोहिनी एकादशी
06 जून, रविवार : अपरा एकादशी
21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी
प्रदोष
24 मई, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत
07 जून, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत
22 जून, मंगलवार : भौम प्रदोष
अमावस्या
11 मई, मंगलवार : वैशाख अमावस्या
10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या
पूर्णिमा
26 मई, बुधवार : बुद्ध पूर्णिमा
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
हर संकट से बचना है तो करें ये आसान उपाय करें
यह उपाय बहुत ही उपयोगी है, तब जब मनुष्य आकस्मिक संकट से घिर जाता है और उससे बाहर निकलने का रास्ता खोजना बहुत ही मुश्किल भरा हो जाता है। अत: ऐसे समय में आप नीचे दिए गए इन उपायों को आजमाएंगे तो निश्चित ही आपके संकट तत्काल दूर होंगे।
- सुबह, शाम और रात को कपूर जलाना न भूलें।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ें।
- घर से बाहर जाते वक्त कभी भी झगड़कर न जाएं।
- बाहर जाते से पहले कुछ मीठा खाकर जाएं।
- शाम के वक्त (धरधरी के समय) खेलना, सफर करना, संभोग करना, झगड़ा करना, अपशब्द बोलना, टीवी देखना, बुरे विचार मन-मस्तिष्क में लाना आदि सभी कार्य करने से व्यक्ति संकटों से घिर जाता है।
धन और स्वास्थ्य की कमी दूर करने के लिए
जिन लोगों के घर में धन और स्वास्थ्य सम्बन्धी कमी का एहसास नित्य होता है, पैसों की भी कमी रहती है और स्वास्थ्य में भी कभी कोई बीमार तो कभी कोई बीमार रहता हो उनके लिए पद्म पुराण में बताया है- वैशाख मास का एक प्रयोग | वैशाख मास की बहुत महिमा बताई है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पद्म पुराण में उसको शर्करा सप्तमी कहा गया है।उस दिन पानी में सफ़ेद तिल मिलाकर भगवन्नाम सुमिरन करते हुए स्नान करें। फिर सूर्य भगवान की ओर मुख करके सूर्यदेव और माँ गायत्री को प्रणाम करें। सूर्य भगवान को इन मंत्रों से प्रणाम करें :-
ॐ नम: सवित्रे। ॐ नम: सवित्रे। ॐ नम: सवित्रे।
विश्व देव मयो यस्मात वेदवादी ति पठ्यसे।
त्वमेवा मृतसर्वस्व मत: पाहि सनातन।।
ये मंत्र बोलकर सूर्यनारायण को व अन्य देवों को मन ही मन प्रणाम करें। अर्घ्य तो देते ही हैं। सूर्य भगवान को जो अर्घ्य ना दें वो आदमी हिंदू कहलाने के लायक नहीं है।
ये कर लिया फिर दूसरे दिन हो सके तो अपने हाथों से दूध चावल की खीर बनाकर उसमें थोड़ा घी डालकर.. थोड़ा-सा भले ज्यादा ना डाल सके एक चम्मच डाल दें और किसी को .. 1-2 व्यक्तियों को खिला दें। कोई ब्राह्मण हो, कोई साधू-महात्मा हो। खीर के साथ थोड़ा रोटी सब्जी दे दें किसी 1 व्यक्ति को भी।
अगर ब्राह्मण न मिले, कोई साधू ना मिले तो छोटी बच्चियों को खिला दें। कन्या को खिला दो तो भी अच्छा है। ऐसा करने से ऐश्वर्य और आरोग्य दोनों की वृद्धि होती है।
वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही सुख और आरोग्य की वृद्धि के लिए पद्म पुराण में इस सप्तमी को 'कमल सप्तमी' भी कहा गया है। हो सके तो उस दिन १ कमल का फूल मिल जाये तो लोटे में जल भरा और कमल का पुष्प लोटे में डाल दिया और सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। कमल ना मिले तो कमल की जगह अक्षत भी डाल सकते हैं। कुम-कुम वाले अक्षत कर लिए और लोटे में डाल दिए क्योंकि वैदिक कर्मकांड में जो भी वस्तु उपलब्ध ना हो उस स्थान पर अक्षत लेने का विधान है। ये अपने देश के ग्रंथो की बड़ी दया है हम पर। ग्रंथ के रचयिता भगवान वेदव्यासजी की भी बड़ी कृपा है हम पर। इस तीर्थ धाम में हम भगवान वेदव्यासजी को भी बार-बार प्रणाम करते हैं तो कमल ना मिला तो चावल तो सबके घर में होते ही है। कुमकुम वाले चावल लोटे में डाल दिए और सूर्य भगवान को जल देते समय ये मंत्र बोलेंगे, साथ में सब बोलना :-
नमस्ते पद्म हस्ताय नमस्ते विश्व धारणे।।
दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोस्तुते।।
वैशाख शुक्ल सप्तमी का खूब-खूब फायदा उठाइये और उस दिन जप भी खूब करिये गुरु मंत्र का।
भविष्योत्तर पुराण में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को 'निम्ब सप्तमी' भी कहते हैं। उस दिन सूर्य देव को प्रणाम करके नीम् के पत्ते भी खाएं तो रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। जिनके शरीर में बीमारियाँ रहती हो पेट की, सिर दर्द की कोई भी तकलीफ रहती हो और वो कमबख्त मिट नहीं रही है, बड़ा परेशान कर रही है वो तकलीफ तो आप नीम के पत्ते वैशाख शुक्ल सप्तमी को सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर प्रणाम करके फिर ये मंत्र बोलते हुए नीम के पत्ते खाएं। ये मंत्र बोलकर नीम के पत्ते खाने से आरोग्य की प्राप्ति हो सकती है हम दृढता से करें :-
आजकल लोग अंग्रेजी बडबड करते हैं पर देव भाषा संस्कृत है। वो घर में बोली जानी चाहिए थी पर अब संस्कृत में आप और हम नहीं बोल सकते तो कम से कम ये संस्कृत के वैदिक-पौराणिक मंत्र बोलते हुए ये नियम करें तो घर में भी सुख-शांति बढती है।
निम्ब पल्लव भद्रनते सुभद्रं तेस्तुवई सदा।
ममापि कुरु भद्रं वै त्राशनाद रोगा: भव।।
ये बोलकर नीम के पत्ते खा लेना। कोमल-कोमल धो कर खाना और उस दिन हो सके तो रात को पलंग पर नहीं धरती पर बिस्तर बिछाकर कम्बल आदि बिछाकर उस पर आराम करना। जिनको कोई भी रोग है वो यह करें।
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